ईरान में गलत तरीके से हिजाब पहनने पर पुलिस ने महिला को मारी गोली, लकवाग्रस्त हुई अरज़ू बद्री
पुलिस की गोली उनके फेफड़ों में लगी और रीढ़ की हड्डी को गंभीर नुकसान पहुंचा. हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह लकवा स्थायी है या नहीं.
ईरान में एक महिला को 'अनुचित' हिजाब पहनने के आरोप में पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद से वह कमर के नीचे से लकवा की शिकार हो गई है. यह घटना 22 जुलाई को उत्तर ईरान के नूर शहर में घटी, जब 31 वर्षीय अरज़ू बद्री अपनी बहन के साथ घर लौट रही थीं. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस की गोली उनके फेफड़ों में लगी और रीढ़ की हड्डी को गंभीर नुकसान पहुंचा. हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह लकवा स्थायी है या नहीं.
22 जुलाई को पुलिस ने अरज़ू की कार को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने इसका पालन नहीं किया, तो पुलिस ने उन पर गोली चला दी. गोली उनके शरीर में 10 दिनों तक फंसी रही और इसे बाद में तेहरान के एक अस्पताल में निकाल लिया गया. इस घटना ने एक बार फिर से ईरान में महिलाओं के प्रति सख्त हिजाब कानूनों और पुलिस की कठोरता को उजागर किया है.
महसा अमीनी की आई याद
यह घटना महसा अमीनी की हत्या के लगभग डेढ़ साल बाद हुई है. 2022 में, महसा अमीनी को 'अनुचित' हिजाब पहनने के आरोप में ईरान की नैतिकता पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई. इस घटना ने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिनमें इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाजें उठीं. इन विरोध प्रदर्शनों ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को भी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया.
ईरान का सख्त हिजाब कानून
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से महिलाओं के लिए सख्त ड्रेस कोड लागू है. हिजाब कानून के तहत महिलाओं को सही ढंग से हिजाब न पहनने पर सजा और जेल की सजा का प्रावधान है. महसा अमीनी की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान ईरानी सरकार ने कड़ी कार्रवाई की, जिसमें देश भर से मौतों की खबरें आईं. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी ईरान की सरकार की आलोचना की.
महसा अमीनी की मौत के बाद नैतिकता पुलिस को भंग कर दिया गया था, लेकिन विरोध प्रदर्शनों की तीव्रता कम होते ही इसे नए नामों से पुनः स्थापित कर दिया गया.
अरज़ू बद्री की घटना ने एक बार फिर से ईरान में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और सख्त हिजाब कानून की कड़ाई को उजागर किया है. महसा अमीनी की मौत के बाद उठे विरोध प्रदर्शनों ने यह साबित किया कि बदलाव की आवश्यकता है, लेकिन इस नई घटना ने दिखाया कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.