इस्लामाबाद: पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव के बीच इमरान सरकार ने मुंबई पर हुए 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के आतंकवादी समूह जमात-उद-दावा (JuD) और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन पर पूर्ण बैन लगा दिया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की एक महत्वपूर्ण बैठक की. जिसमें पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की गई. इसी दौरान इन दोनों संगठनों को फिर से प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया.
पिछले साल अक्टूबर महीने में चैरिटी के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठनों की सूची से बाहर आ गए थे. इन दोनों संगठनों को संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत प्रतिबंधित करने वाला पाकिस्तान सरकार का अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया था. दरअसल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित करते हुए 10 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा की.
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक एनएससी की बैठक से पहले पीएम खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बैठक की जिसमें उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श किया. इसके बाद एनएससी बैठक के दौरान पुलवामा हमले और इसके बाद उपजी स्थिति पर चर्चा की गई.
इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल बाजवा, सेवाओं के प्रमुख, खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों, सुरक्षा अधिकारियों और वित्त, रक्षा, विदेश मामलों तथा गृह विभाग के लिए संघीय तथा राज्य मंत्रियों ने भाग लिया.
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गत 14 फरवरी को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदे एक वाहन को केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक बस से टकरा दिया था जिससे 40 जवान शहीद हो गये थे.
पुलवामा आतंकी हमले में पाकिस्तान की मिलीभगत की पोल खोलकर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की भारत की रणनीति काम कर रही है. आतंकवाद को एक राजकीय नीति के तौर पर इस्तेमाल करने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने के लिए भारत ने पुलवामा हमले के तुरंत बाद पी-5 राष्ट्रों समेत 25 देशों के राजदूतों से जानकारी साझा की. पी-5 देशों में अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं.













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