कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन के बीच चर्चा, बातचीत के जरिए विवादों के समाधान पर जोर
पाकिस्तान और चीन ने रविवार को कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की और क्षेत्र में विवादों का समाधान परस्पर सम्मान तथा समानता के आधार पर बातचीत के जरिये करने की जरूरत पर बल दिया
इस्लामाबाद: पाकिस्तान और चीन ने रविवार को कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की और क्षेत्र में विवादों का समाधान परस्पर सम्मान तथा समानता के आधार पर बातचीत के जरिये करने की जरूरत पर बल दिया. इसके साथ ही चीन ने अपने पुराने सहयोगी को उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में अपना समर्थन दोहराया. चीन के विदेश मंत्री वांग यि की दो दिवसीय पाकिस्तान यात्रा के समापन के मौके पर जारी एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने इस पर जोर दिया कि उनका रणनीतिक गठजोड़ किसी भी क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्थिति से अप्रभावित रहेगा. वांग चीन-अफगानिस्तान-पाकिस्तान त्रिपक्षीय विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए इस्लामाबाद आए थे.
दो दिन की यात्रा के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की। वांग ने इस दौरान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से भी वार्ता की।इन बैठकों के दौरान दोनों पक्षों के बीच परस्पर हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा हुई. वांग की पाकिस्तान यात्रा ऐसे समय हुई है जब भारत द्वारा गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा तनाव है. दोनों पक्षों ने कहा कि एक शांतिपूर्ण, स्थिर, सहयोगात्मक और समृद्ध दक्षिण एशिया सभी पक्षों को हित में है. यह भी पढ़े: कश्मीर पर तेवर दिखाने वाले इमरान खान पड़े ठंडे, कहा ’पाक पहले शुरू नहीं करेगा युद्ध, इससे नहीं होता समस्या का समाधान’
बयान के मुताबिक, ‘‘क्षेत्र में विभिन्न पक्षों को परस्पर सम्मान और समानता के आधार पर विवादों और मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए करने की जरूरत है,’’इस दौरान पाकिस्तान और चीन ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की. पाकिस्तानी पक्ष ने चीनी पक्ष को अपनी चिंताओं और ‘‘तात्कालिक मानवीय मुद्दों’’ समेत पूरी स्थिति से अवगत कराया. बयान के मुताबिक, ‘‘चीनी पक्ष ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और उसने दोहराया कि कश्मीर का मुद्दा अतीत का एक विवाद है, और संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार इसका समुचित और शांतिपूर्ण समाधान होना चाहिए.’’