पाकिस्तान के लिए बड़ा दिन! मंडरा रहा है ब्लैकलिस्ट होने का खतरा, FATF आज करेगा फैसला

पेरिस में एफएटीएफ की बैठक में आज शुक्रवार को पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा. पाकिस्तान टेरर फंडिंग और मनी लांड्रिंग से जुड़े मामलों को रोकने में नाकाम साबित हुआ है. पाकिस्तान पर एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. हालंकि हालांकि चीन, तुर्की और मलेशिया के समर्थन की वजह से पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में जाने से बच सकता है, लेकिन पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से नहीं हटेगा.

पाक पीएम इमरान खान (Photo Credit-IANS)

पाकिस्तान (Pakistan) को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (Financial Action Task Force) से राहत नहीं मिली है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया है. हालांकि इस बारे में फिलहाल कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. इसकी आधिकारिक घोषणा आज शुक्रवार को होगी. पेरिस में एफएटीएफ की बैठक में आज शुक्रवार को पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा. पाकिस्तान टेरर फंडिंग और मनी लांड्रिंग से जुड़े मामलों को रोकने में नाकाम साबित हुआ है. पाकिस्तान पर एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. हालंकि हालांकि चीन, तुर्की और मलेशिया के समर्थन की वजह से पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में जाने से बच सकता है, लेकिन पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से नहीं हटेगा.

दरअसल, किसी देश को ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए तीन देशों के समर्थन की जरुरत होती है. पाकिस्तान को इस समय चीन, तुर्की और मलेशिया का समर्थन हासिल है. ऐसे में संभावना है कि पाक ब्लैकलिस्ट होने से बच जाए. इससे पहले मंगलवार को पेरिस में हुई बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्ताव द्वारा मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग को लेकर उठाए गए कदमों की समीक्षा की. जिसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को कड़े निर्देश दी कि वह आतंकी फंडिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाए.

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पाकिस्तान को जून, 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था. FATF ने फरवरी 2019 में पाक को खरी-खरी सुनाते हुए तीखी चेतावनी भी दी थी. एफएटीएफ ने कहा था कि लश्कर, जैश और जमात उद दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर सही तरीके से लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकामयाब रहा है. पाकिस्तान को इन रणनीतिक कमियों से पार पाने के लिए काम करना चाहिए. जिस कारण पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं अगर पाकिस्तान यदि ग्रे लिस्ट में बना रहा, तो उसे मुद्राकोष, विश्वबैंक और यूरोपीय यूनियन आदि से वित्तीय सहायता मिलना मुश्किल हो जाएगा.

(इनपुट भाषा से भी)

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