इस्लामाबाद: पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप से बरी की गई ईसाई महिला को नीदरलैंड भेजने की खबरों का गुरुवार को खंडन किया. इस बीच खबर आ रही है कि नीदरलैंड ने पाकिस्तान में अपनी वीजा सेवा को कुछ समय के लिए रोक दी है. हालांकि इसके पीछे की वजह ईशनिंदा मामला होने से इनकार किया जा रहा है.
पाकिस्तानी मीडिया ने पहले बताया था कि सुरक्षा कारणों की वजह से नीदरलैंड ने अपने पाकिस्तान में स्थित दूतावास को बंद कर दिया है. जिसके कुछ देर बाद ही पाकिस्तान में नीदरलैंड के राजदूत ने बयान जारी कर बताया कि दूतावास को बंद नहीं किया गया है. दरअसल दूतावास में रिनोवेशन का काम जारी है जिस वजह से कुछ समय के लिए सिर्फ वीजा सेवाओं को स्थगित किया गया है बाकि सभी सेवाएं पहले जैसे शुरू रहेगी.
पिछले हफ्ते पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने ईशनिंदा के मामले में आसिया बीबी को मिली मौत की सजा को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया था. देशव्यापी क्रोध के बावजूद बीबी को बुधवार मध्यरात्रि मुल्तान जेल से रिहा कर दिया गया.
स्थानीय मीडिया में यह खबर आई थी कि बीबी को रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस ले जाया गया है जहां से उन्हें नीदरलैंड भेज दिया जाएगा. मीडिया ने गुरुवार को खबर दी, ‘‘ आसिया बीबी को बुधवार की मध्य रात्री मुल्तान के ‘न्यू जेल फॉर वुमन’ से रिहा कर दिया गया और नूर खान एयरबेस ले जाया गया, जहां से उन्हें एक चार्टर्ड विमान से नीदरलैंड ले जाया जाएगा.’’
The Embassy of the #Netherlands in #Pakistan is open. The issuance of visa has been halted temporarily. Last week, the embassy was temporarily closed for 2 days bcs of construction work. In case of questions/comments, please contact the embassy at 051 200 4444 or isl@minbuza.nl.
— Ardi Stoios-Braken (@AStoiosbraken) November 12, 2018
यह खबर पाकिस्तान में आग कि तरह फैली. जिसके बाद विदेश मंत्रालय को सामने आकर सच्चाई बतानी पड़ी थी. वहीं बीबी पर शीर्ष अदालत के निर्णय का इस्लामी पार्टी ने कड़ा विरोध किया था और उनकी रिहाई के फैसले को नहीं बदले जाने पर सड़क पर प्रदर्शन कर देश भर में रोजमर्रा की जिंदगी को पंगु बनाने की धमकी दी थी.
गौरतलब है कि चार बच्चों की मां आसिया बीबी (47) पर उनके पड़ोसियों के साथ झगड़े के दौरान इस्लाम धर्म का अपमान करने (ईश-निंदा) का आरोप लगा था, जिसके बाद 2010 में उन्हें दोषी ठहराया गया था. उन्हें इस मामले में मौत की सजा दी गई थी. वह खुद को निर्दोष साबित करने की लगातार कोशिश करती रहीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें आठ साल जेल की सेल में अकेले गुजारना पड़ा.