फेसबुक (Facebook) के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने गुरुवार को पुष्टि की कि इजरायल (Israel) की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकारों को स्पाइवेयर द्वारा टारगेट कर उनकी जासूसी की गई. व्हाट्सएप (WhatsApp) ने इस सप्ताह इजरायल की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने आरोप लगाया है कि इसने वैश्विक स्तर पर 1,400 चयनित (सलेक्टेड) उपयोगकर्ताओं की जासूसी की है.
इससे पहले कई मीडिया रिपोर्टो में कहा गया था कि भारत में टारगेट किए गए लोगों में वे मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल थे, जिन्हें पिछले साल जनवरी में पुणे के पास भीमा-कोरेगांव दलित दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारतीय पत्रकार भी व्हाट्सएप की जासूसी के शिकार बने. एक व्हाट्सएप प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, "इस सप्ताह हमारे द्वारा संपर्क किए जाने वालों में भारतीय उपयोगकर्ता शामिल थे."
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कुछ लोग हालांकि सोशल मीडिया पर खुद ही सामने आए, जिससे पता चलता है कि वे स्पाइवेयर से प्रभावित थे. डब्ल्यूआईओ न्यूज के संवाददाता सिद्धांत सिब्बल ने ट्वीट कर ऑनलाइन सुरक्षा के नाम पर इसे अच्छी खबर बताया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर की गई जासूसी की खबरें सामने आने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरा है. उन्होंने इस जासूसी के पीछे भाजपा का हाथ होने का आरोप भी लगाया है.
कांग्रेस पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने ट्वीट कर इस मामले पर तुरंत सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेने की बात कही. कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने ट्वीट कर कटाक्ष किया कि भाजपा सरकार चाहती है कि आधार को फोन से जोड़ा जाए. उन्होंने कहा कि निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया. उन्होंने कहा, "इजरायली सॉफ्टवेयर के जरिए व्हाट्सएप जासूसी हुई. क्या अगली बार राष्ट्रवाद के नाम पर हमारे घरों में कैमरे होंगे? यह 'भ्रष्ट जासूसी पार्टी' के टोटके हैं?"
जासूसी से प्रभावित 1400 उपयोगकर्ताओं में से भारत के 20 से अधिक शिक्षाविद, वकील, दलित कार्यकर्ता व पत्रकार शामिल हैं. व्हाट्सएप के प्रमुख विल कैटहार्ट ने वाशिंगटन पोस्ट द्वारा प्रकाशित एक ओप-एड में लिखा, "इसने दुनिया भर में कम से कम 100 मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और समाज के अन्य नागरिकों को निशाना बनाया." विशेषज्ञों के अनुसार, हाल ही में व्हाट्सएप के जरिए जासूसी का शिकार हुए लोगों को लोकेशन डेटा और ईमेल सामग्री सहित महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी डिलीट हो सकती है.