Indo-Pakistani War: 1971 की जंग पर बोले इमरान खान, भारत में कैदी बन गए थे 90 हजार पाकिस्तानी सैनिक
13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के शौर्य के सामने पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
Imran Khan On Indo-Pakistani War: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिको को बंदी बना लिया था. ये बात खुद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ने वीडियो जारी कर कही है. 1974 में शिमला समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.
इमरान ने पाकिस्तान के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि " उस वक्त कंट्रोल मीडिया पाकिस्तान से इसकी कोई खबर नहीं मिल रही थी. आज हमें समझना चाहिए कि पाकिस्तान के लोगों से इतना बड़ा जुल्म हुआ. उस वक्त पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया गया. ईस्ट पाकिस्तान के साथ जुल्म हुआ. ये भी पढ़ें- Pakistan: इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी के लिए सेना प्रमुख को ठहराया जिम्मेदार
जब भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ उस वक्त भारतीय सेना के अध्यक्ष फील्ड मार्शल सैम होर्मसजी फ्रैमजी जमशेदजी मानेकशॉ थे. उनके नेतृत्व में ही भारत ने ये युद्ध लड़ा और ऐतिहासिक जीत हासिल की.
पश्चिमी पाकिस्तान ने तब के पूर्वी पाकिस्तान पर बेतहाशा जुल्म ढ़ाये. नरसंहार, बलात्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में पाकिस्तान ने सारी हदें पार कर दी थी. तब भारत बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में न सिर्फ शामिल हुआ बल्कि पाकिस्तान को ऐसी करारी शिकस्त दी कि उसे पूर्वी पाकिस्तान से अपना अधिकार छोड़ना पड़ा.
13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के शौर्य के सामने पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने अक्सर 1971 के युद्ध को "राष्ट्रीय अपमान" के रूप में संदर्भित किया है. उन्होंने कहा है कि 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण एक "चौंकाने वाली" घटना थी और इसका पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानस पर स्थायी प्रभाव पड़ा है.
1971 का युद्ध पाकिस्तान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ, और इसने क्षेत्र में पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक स्थिति को भी नुकसान पहुंचाया. युद्ध का पाकिस्तानी लोगों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और यह राष्ट्रीय आघात का एक स्रोत बना हुआ है.