जर्मनी: अल्पमत में क्यों आ गई चांसलर शॉल्त्स की सरकार

आर्थिक मुद्दों पर मतभेद के चलते जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने केंद्र की गठबंधन सरकार में अपने सहयोगी एफडीपी के वित्त मंत्री को हटा दिया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

आर्थिक मुद्दों पर मतभेद के चलते जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने केंद्र की गठबंधन सरकार में अपने सहयोगी एफडीपी के वित्त मंत्री को हटा दिया है. अल्पमत की सरकार जनवरी में विश्वास मत का सामना करेगी.आमतौर पर शांत और संतुलित हावभाव दिखाने वाले एसपीडी नेता ओलाफ शॉल्त्स बीती शाम कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी और दृढ़निश्चयी दिखे. मीडिया से बातचीत में उन्होंने केंद्र की अपनी गठबंधन सरकार में पार्टनर एफडीपी के नेता और उनकी सरकार में वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को हटाने की वजहें साफ गिनाईं.

नवउदारवादी फ्री डेमोक्रैट्स की पार्टी, एफडीपी ने चांसलर शॉल्त्स की सरकार से अपने सारे मंत्रियों को वापस निकाल लिया है. अब तक जर्मनी में जो तीन पार्टियों के गठबंधन वाली ''ट्रैफिक सिग्नल' सरकार चल रही थी, आने वाले हफ्तों में वो अल्पमत की सरकार के रूप में काम करेगी. अब सरकार में सेंटर लेफ्ट पार्टी, एसपीडी के अलावा पर्यावरण के मुद्दों को लेकर राजनीति करने वाली ग्रीन्स पार्टी ही रहेगी.

जर्मनी को 'बड़े नुकसान से बचाने' का कदम

चांसलर शॉल्त्स ने ये बड़ा कदम उठाने की घोषणा करते हुए कहा, "मुझे ये कदम उठाना पड़ा ताकि देश को बड़े नुकसान से बचाया जा सके."

उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री लिंडनर के साथ आर्थिक मुद्दों पर मतभेद नहीं मिटाए जा सके. मामला 2025 के वित्तीय बजट पर अटक गया. शॉल्त्स ने कहा कि "2025 के बजट में करीब 10 अरब यूरो की कमी को पूरा करने के लिए बहुत विस्तृत योजना पेश करने के बावजूद" यह स्थिति बनी. बजट में ये कमी सरकार के दोनों गठबंधन दलों के बीच चले आ रहे मतभेदों की कड़ी में निर्णायक साबित हुई.

एक हफ्ते पहले ही लिंडनर का तैयार किया एक पेपर सार्वजनिक हुआ था. इसमें ऐसे कई वित्तीय और आर्थिक उपायों की सूची थी, जिन पर सरकार के बाकी गठबंधन सहयोगियों के साथ सहमति नहीं बनी थी. इसके तहत कंपनियों के लिए करों में कटौती, जलवायु से जुड़े नियमों की वापसी और कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े लाभों को कम करने जैसी कई बातें कही गई थीं.

क्या जर्मन कार नीति की विफलता है फोक्सवागन संकट?

इस हफ्ते लिंडनर ने चांसलर शॉल्त्स के नए प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया जिसके बाद चांसलर ने कहा था, "वित्त मंत्री देश की भलाई के लिए इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए राजी नहीं हैं. मैं अपने देश को इस तरह के रवैये से और परेशानी नहीं झेलने देना चाहता."

लिंडनर के कौन से कदम शॉल्त्स को गुजरे नागवार

लिंडनर पर "छुद्र राजनीतिक हथकंडे" आजमाने का आरोप लगाते हुए चांसलर शॉल्त्स ने कहा कि "वित्त मंत्री लिंडनर ने हमारे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने की जरा भी मंशा नहीं जताई." उन्होंने कहा कि जर्मन कंपनियों को फौरन मदद दिए जाने की जरूरत है और "जो भी इससे मना करे वो गैरजिम्मेदाराना बर्ताव दिखा रहा है."

जर्मनी में आ सकती है समय से पहले चुनाव कराने की नौबत

शॉल्त्स की पार्टी ने अतिरिक्त ऋण लेकर देश में ऊर्जा की कीमतों को कम करने का प्रस्ताव दिया था, जिससे कंपनियों को खासी राहत मिलती. कंपनियों को टैक्स में थोड़ी राहत देने के अलावा कमजोर पड़ रहे जर्मन कार उद्योग में लोगों की नौकरियों को बचाने के लिए भी प्रस्ताव शामिल थे. इसके अलावा यूक्रेन को और मदद देना भी उन प्रस्तावों का हिस्सा था जिसे वित्त मंत्री मानने को तैयार नहीं थे.

जनवरी के मध्य में अब चांसलर शॉल्त्स की अल्पमत की सरकार संसद में विश्वास मत का सामना करेगी. समर्थन खोने की स्थिति में देश में समय से पहले ही आम चुनाव कराने की नौबत आ जाएगी. जो चुनाव सितंबर 2025 में होने वाले थे उन्हें मार्च में ही कराना पड़ सकता है.

शॉल्त्स की एसपीडी पार्टी अपनी सरकार के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में फिलहाल विपक्ष में बैठने वाली कंजर्वेटिव जर्मन पार्टी सीडीयू और सीएसयू से बात करेगी. शॉल्त्स ने कहा है कि "हमारी अर्थव्यवस्था अगले चुनावों तक इंतजार नहीं कर सकती. हमें इस पर अभी सफाई की जरूरत है."

खत्म हो गया जर्मन चांसलर का सब्र

अपने 20 मिनट के भाषण में शॉल्त्स ने ना केवल एफडीपी से नाता तोड़ने की वजहें गिनाईं बल्कि बाकी विपक्षी दलों को इस घड़ी में देश के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील भी की. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप को मिली जीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा: "हाल के हफ्तों में अमेरिकी चुनाव पर नजर रखने वाले हर व्यक्ति ने देखा है कि देश कितना बंटा हुआ है. देश में राजनीतिक मतभेदों ने दोस्तियां और परिवारों को बर्बाद कर दिया है."

शॉल्त्स ने जोर जेकर कहा कि जर्मनी में ऐसी नौबत नहीं आने देनी चाहिए. आने वाले हफ्तों में साफ होगा कि खुद उनकी सरकार में और बाहर के विपक्षी दलों में चांसलर शॉल्त्स की इस सोच को कितना समर्थन मिलता है.

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