सैलानियों से परेशान हो गया है यूरोप
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पेरिस हो या वेनिस, रोम हो या एथेंस, फ्लोरेंस या फिर एम्सटरडम. यूरोप दुनिया भर के सैलानियों का मक्का है. लेकिन अब यूरोप इन्हीं सैलानियों से तंग आ गया है और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहा है.वेनिस जाकर गोंडोला में बैठना ऐसा अनुभव है जिसे शायद हर कोई लेना चाहता है. और पानी पर जिंदगी कैसे चलती है, यह देखने के लिए वेनिस से अच्छी जगह दुनिया में कोई नहीं है. इसीलिए तो इस शहर में हमेशा सैलानी उमड़े रहते हैं. इस शहर की आबादी लगभग 50 हजार है. 2019 में यहां आने वाले सैलानियों की संख्या 55 लाख से ज्यादा रही है. ऐसे में शहर के लोगों की शिकायत है कि उनका शहर तो उनका है ही नहीं. यह तो बस सैलानियों का ठिकाना है. इस भीड़ को कम करने के लिए वेनिस अगले साल से सिर्फ एक दिन के लिए शहर में आने वाले सैलानियों पर अलग से फीस लगाने की तैयारी कर रहा है.

ग्रीस के जंगलों में लगी आग के चलते फंसे हजारों सैलानी

वेनिस की तरह यूरोप के कई शहर आज ओवरटूरिज्म यानी जरूरत से ज्यादा टूरिज्म के शिकार हैं. फ्रांस भी अपने यहां सैलानियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगा. फ्रांस दुनिया भर में सैलानियों का सबसे पसंदीदा ठिकाना है. उसके ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग पहुंचते हैं. पीक सीजन में सैलानियों के रेले से पर्यावरण, स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और खुद सैलानियों के अनुभव भी प्रभावित होते हैं.

यूरोप के दूसरे शहर भी परेशान

आड्रियान सागर के तट पर क्रोएशिया का दुब्रोवनिक बसा है. यहां की आबादी की बात करें तो 41 हजार के आसपास है लेकिन 2019 में यहां आने वाले पर्यटकों की तादाद 14 लाख रही. 2011 में जब से यहां मशहूर टीवी सीरीज गेम ऑफ थ्रोन्स के कुछ हिस्से फिल्माए गए हैं तब से यहां आने वाले लोग यकायक बढ़ गए हैं. हद से ज्यादा सैलानियों की समस्या से आज यूरोप के सभी बड़े पर्यटन स्थल जूझ रहे हैं.

भूटान घूमने के लिए भारतीयों को भी पैसा देना होगा

रोम हो या बार्सिलोना, एथेंस या फिर फ्लोरेंस, यूरोप के बहुत सारे शहर आज ओवरटूरिज्म से परेशान हैं. कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया थम गई थी तो जिन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर हुआ, टूरिज्म उनमें से एक था. लेकिन अब बहुत कुछ वापस पटरी पर लौट चुका है और घुमक्कड़ लोग नए नए रिकॉर्ड बना रहे हैं. अकेले ग्रीस में पिछले साल गर्मियों के दौरान दस लाख सैलानी आए.

अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं सैलानी

यह हाल तब है जब दुनिया भर में महंगाई बढ़ती जा रही है, यूक्रेन में जारी युद्ध की वजह से एक तरह की अस्थिरता है और जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्रीस में गर्मियों के दौरान जंगलों की आग भड़कती है. वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि बीते साल 96 करोड़ लोग विदेश घूमने गए. सोचिए इसमें अपने देश के भीतर घूमने वालों को भी मिला दें तो आंकड़ा कहां जाकर पहुंचेगा.

यह बात सही है कि सैलानियों के आने से पैसा आता है और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. लेकिन इसकी कीमत स्थानीय लोग चुकाते हैं, उन्हें रहने के लिए किफायती दामों पर मकान नहीं मिलते, क्योंकि मकान मालिक उन मकानों को होटल या गेस्ट हाउस बनाकर ज्यादा कमाना चाहते हैं. पर्यटकों की भीड़ से सड़कें जाम हो जाती हैं, शहर में आना जाना मुश्किल होता है. कई बार स्थानीय ईको सिस्टम और पर्यावरण को भी सैलानियों की वजह से नुकसान होता है. और जब भीड़ बहुत ज्यादा हो तो खुद पर्यटक भी किसी जगह को ना ठीक से देख पाते हैं और ना उसका आनंद ले पाते हैं. जब भीड़ ज्यादा होती है तो हर जगह सैलानियों की लंबी लाइन से होकर गुजरना पड़ता है. इसमें समय और ऊर्जा, दोनों की बर्बादी होती है.

टूरिज्म का असर पर्यावरण पर भी

और आखिर में इस सबकी कीमत हमारेपर्यावरणऔर हमारी पृथ्वी को चुकानी पड़ती है. दुनिया में जितना भी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, उसमें से आठ प्रतिशत के लिए टूरिज्म सेक्टर जिम्मेदार है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान विमानों का है. इसके अलावा बड़े बड़े क्रूज शिप भी खासा उत्सर्जन करते हैं. फिर सैलानियों के ठहरने के लिए होटल, खाने और सुवेनियर बनाने में भी उत्सर्जन होता है. कुल मिलाकर ओवरटूरिज्म अपने आप में कई समस्याओं को साथ लेकर आता है. इसीलिए इसके खिलाफ आवाजें लगातार तेज हो रही हैं.

दुनिया को जानने और समझने का सबसे अच्छा तरीका है, दुनिया घूमना. लेकिन घूमने के लिहाज से यह जानना जरूरी है कि कहां जाया जाए और कब जाया जाए. ऐसा ना हो आप किसी ऐसे टापू पर जाने का प्लान बना रहे हो जहां की आबादी एक हजार है और वहां आपके जैसे पांच हजार लोग पहुंच जाएं... ऐसा करेंगे तो, आप उस जगह का आनंद नहीं ले सकेंगे और स्थानीय लोगों को जो परेशानी होगी, वो अलग. तो कोशिश करिए कि पीक सीजन में कहीं जाने के बजाय ऑफ सीजन में जाइए, और उन जगहों पर क्यों जाना जहां सब जा रहे हों. थोड़ा रिसर्च करके कुछ नए ठिकाने तलाशिए. और नए अनुभव लीजिए.