जर्मनी समेत 10 यूरोपीय देशों में एयर डिफेंस सिस्टम की साझा खरीद पर अहम सहमति बनी है. साथ ही, जर्मनी ने कहा है कि नाटो की क्षमताएं बढ़ाने के लिए वह 2025 से अपने 35 हजार सैनिक देगा.ब्रसेल्स में नाटो रक्षा मंत्रियों की बैठक हो रही है. यहां जर्मन रक्षा मंत्री पिस्टोरियस ने 12 अक्टूबर को यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि सैनिकों के अलावा जर्मनी, तुरंत तैनाती के लिए लगभग 200 एयरक्राफ्ट भी तैयार रखेगा. करीब 4,000 जर्मन सैनिक स्थायी तौर पर लिथुआनिया में तैनात रहेंगे.
इस फैसले का संबंध जुलाई में हुई नाटो की बैठक से है, जिसमें नई रक्षा योजना पर बात हुई थी. इसके अंतर्गत किसी नाटो सदस्य देश पर हमले की संभावित स्थिति के मद्देनजर पहले से ही तैयार रहने की योजना है. इसके लिए सदस्य देश, सैनिक और सैन्य उपकरण तैयार रखेंगे ताकि जरूरत पड़ने पर किसी खास इलाके या देश में तत्काल तैनाती की जा सके.
साझा एयर डिफेंस सिस्टम
11 अक्टूबर को एयर डिफेंस सिस्टमों की खरीद प्रक्रिया पर बातचीत आगे बढ़ी. बेल्जियम, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, एस्टोनिया, हंगरी, लिथुआनिया और नीदरलैंड्स ने एक समझौते पर दस्तखत किए, जो इस खरीद के लिए जरूरी कानूनी आधार तैयार करेगा.
जर्मनी, स्लोवेनिया और लातविया पहले ही इस मसौदे पर दस्तखत कर चुके हैं. इन 10 देशों का लक्ष्य "यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव" के तहत डिफेंस सिस्टमों की साझा खरीद की अगुआई करना है. जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने तीन से चार महीनों में शुरुआती करार होने की उम्मीद जताई. रेथिऑन का पैट्रियट और जर्मन हथियार निर्माता डीएल के आईआरआईएस-टी जैसे एयर डिफेंस सिस्टम, हमलावर मिसाइलों को रोकने का काम करते हैं.
रूसी आक्रामकता ने बदली स्थितियां
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से ही यूरोपीय देश सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं. लंबे समय बाद यहां रक्षा क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है और नए सिरे से रक्षा नीतियां बनाई जा रही हैं. इसी परिदृश्य में जर्मनी ने अक्टूबर 2022 में एयर डिफेंस सिस्टम लॉन्च किया. इसमें यूरोपीय वायुक्षेत्र की सुरक्षा के लिए डिफेंस सिस्टमों के इस्तेमाल की योजना है.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि पूरे यूरोप का सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ाए जाने की जरूरत है. शॉल्त्स ने यह भी कहा कि अपने-अपने स्तर पर तैयारी करने की जगह साझा यूरोपियन एयर डिफेंस सिस्टम में सदस्य देशों की लागत कम आएगी और यह व्यवस्था ज्यादा प्रभावी भी होगी. तब "यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव" के तहत 15 देशों ने एक यूरोपियन एयर डिफेंस सिस्टम बनाने के लिए एमओयू पर दस्तखत किए थे.
ये देश थे: बेल्जियम, बुल्गारिया, एस्तोनिया, फिनलैंड, ब्रिटेन, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, चेक रिपब्लिक और हंगरी. बाद में डेनमार्क, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड भी इसमें शरीक हो गए. ये 19 देश नए सिस्टम विकसित करने की जगह मौजूदा सिस्टम खरीदना चाहते हैं, ताकि सिस्टमों की खरीद में इंतजार ना करना पड़े.
फ्रांस इससे असहमत है. वह यूरोपियन सिस्टम विकसित करने के पक्ष में है. उसका कहना है कि बाहरी देशों से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने से उन देशों और कंपनियों पर निर्भरता बढ़ जाएगी. फ्रांस ने इस साझा व्यवस्था में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
एसएम/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)