आर्थिक संकट से जूझते पाकिस्तान में जनवरी में चुनाव
आर्थिक भंवर में फंसे पाकिस्तान को चुनावों का बेसब्री से इंतजार है.
आर्थिक भंवर में फंसे पाकिस्तान को चुनावों का बेसब्री से इंतजार है. देरी से होने वाले इन चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हिस्सा नहीं ले सकेंगे.पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने गुरुवार को जनवरी में आम चुनाव करवाने का एलान किया. चुनाव निर्धारित समय से करीब तीन महीने बाद होंगे. पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक, संसद का निचला सदन भंग होने के 90 दिन के भीतर चुनाव कराने होते हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन, अपील और चुनाव प्रचार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जनवरी के अंत में चुनाव होंगे.
पाकिस्तान में फिलहाल अंतरिम प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ की कमचलाऊ सरकार है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क पहुंचे काकड़ के मुताबिक संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के कारण चुनाव देरी से होंगे. परिसीमन ताजा जनगणना के आधार पर किया जा रहा है.
अभी हिरासत में ही रहेंगे इमरान खान
14 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आया पाकिस्तान संवैधानिक रूप से एक लोकतंत्र है. लेकिन देश में तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक सेना ने राज किया है. बीते 76 साल से पाकिस्तान की राजनीति पर हमेशा सेना का साया रहा है. कहा जाता है कि कब, किसकी सरकार बनेगी और कितनी लंबी चलेगी, इसका फैसला पाकिस्तान के मिलिट्री चीफ करते हैं.
चुनाव के नतीजों पर देशवासियों को भरोसा बहुत कम हो चुका है. बहुत से लोगों को लगता है कि चुनाव में पक्षपात होता है.
अर्थव्यवस्था को राजनीतिक स्थिरता का इंतजार
राजनीतिक संकट से जूझते पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी खस्ता है. आम लोग महंगाई, सुस्त आर्थिक विकास और कमजोर मुद्रा के कारण परेशान हैं. हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिले तीन अरब अमेरिकी डॉलर के कर्जने कुछ हद तक संभलने का मौका दिया है. हालांकि 350 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए जरूरी अधिकार, कामचलाऊ सरकार के पास नहीं हैं.
राजनीतिक दलों और फाइनेंसरों को लगता है कि स्थिर लोकतंत्र ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकता है. चुनाव के एलान के बाद कराची स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक केएसई100, गुरुवार को 550 अंक से ज्यादा ऊपर गया. लंबे समय बाद शेयर बाजार 0.7 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ.
इस्माइल इकबाल सिक्योरिटीज के हेड रिसर्चर फहाद राउफ कहते हैं, "चुनाव की खबर बहुत सकारात्मक है, यह सिस्टम में निवेशकों का भरोसा लौटाती है."
कैसा दिखता है चुनावी मैदान
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान और प्रधानमंत्री रह चुके इमरान खान चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण लोकप्रिय नेता इमरान खान पांच साल तक सार्वजनिक पद पर नहीं बैठ सकते है. न्यूयॉर्क में जब काकड़ से पूछा गया कि क्या चुनाव में सभी पार्टियां हिस्सा लेंगी? तो उन्होंने कहा, "इस बारे में मुझे और सरकार को कोई कंप्यूजन नहीं है कि चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड पाकिस्तान की सारी पार्टियों को, कानूनी, राजनीतिक, नैतिक रूप से चुनाव लड़ने की अनुमति है और वे इस राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सा लेंगी."
इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ, सहानुभूति और आक्रोश को भुनाने की कोशिश करेगी. हालांकि आला सैन्य अधिकारियों के निशाने पर आए इमरान खान की पार्टी को क्या सेना आसानी से जीतने देगी, यह बड़ा सवाल है. इमरान खान फिलहाल गोपनीय दस्तावेज लीक करने के आरोप में हिरासत में हैं. वहीं शरीफ ब्रदर्स (नवाज और शहबाज शरीफ) की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पूरी ताकत से चुनाव की तैयारी कर रही हैं. कई जानकार कह रहे हैं कि शहबाज शरीफ की सरकार में विदेश मंत्री रह चुके 34 साल के बिलावल भुट्टो चुनावी रेस में अब तक आगे दिख रहे हैं.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)