चीन की कामयाबी, होंडुरास ने तोड़ा ताइवान से रिश्ता

डॉलर डिप्लोमेसी के जरिए चीन ने एक और देश को ताइवान के साथ रिश्ते खत्म करने के लिए तैयार कर लिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

डॉलर डिप्लोमेसी के जरिए चीन ने एक और देश को ताइवान के साथ रिश्ते खत्म करने के लिए तैयार कर लिया. ‘आहत’ ताइवान को मान्यता देने वाले देश अब सिर्फ 13 रह गए हैं.होंडुरास ने ताइवान से रिश्ते खत्म कर चीन के साथ समझौता कर लिया है. इसके साथ ही ताइवान को मान्यता देने वाले देशों की संख्या घटकर 13 रह गई है, जिसे चीन की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है.

रविवार को होंडुरास और चीन के विदेश मंत्रियों ने एक साझा बयान जारी किया. बीजिंग में हुए इस ऐलान बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे होंडुरास द्वारा ‘सही चुनाव‘ बताया.

चीन की नौसेना ताइवान की खाड़ी में क्या मध्य रेखा मिटा रही है

ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ महीनों में लगातार तनावपूर्ण रहे हैं. अमेरिका सीधे तौर पर ताइवान की तरफदारी कर रहा है, इसलिए होंडुरास के फैसले को दक्षिण अमेरिका में चीन के बढ़ते प्रभाव के तौर पर देखा जा सकता है.

80 साल पुराने रिश्ते खत्म

चीन के साथ समझौता होने से पहले होंडुरास ने बयान जारी कर बताया कि वह ताइवान से अपने रिश्ते खत्म कर रहा है. ताइवान ने भी अलग से बयान जारी कर ऐसा ही ऐलान किया था.

चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने कहा कि होंडुरास के साथ संबंध स्थापित करना दिखाता है कि ‘वन चाइना' नीति पर टिके रहना लोगों का दिल जीत रहा है और यही सामान्य चलन है. उन्होंने कहा, "हम ताइवान सरकार को यह संदेश पूरी सख्ती के साथ देना चाहते हैं कि वे अलगाववादी गतिविधियों में शामिल ना हों. ताइवान की आजादी चीनी राष्ट्र की इच्छा और हितों के खिलाफ है. यह इतिहास के विरुद्ध है और विफलता ही इसकी नियति है.”

होंडुरास के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा कि उनका देश मानता है कि दुनिया में एक ही चीन है. उन्होंने लिखा, "बीजिंग की सरकार ही एकमात्र वैध सरकार है जो पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करती है. ताइवान चीन का एक अभिन्न अंग है और आज होंडुरास की सरकार ने ताइवान को सूचित कर दिया है कि अब ताइवान के साथ किसी तरह का संपर्क या संबंध नहीं होगा.”

रविवार को ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि "अपनी संप्रभुता और सम्मान की सुरक्षा के लिए” उनके देश ने होंडुरास से रिश्ते खत्म कर लिए हैं. वू ने कहा कि होंडुरास की राष्ट्रपति शियोमारा और उनके दल को हमेशा ही चीन को लेकर फंसाती रही है और 2021 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले भी वह रिश्ते तोड़ने का मुद्दा उठा चुकी थीं.

अरबों डॉलर की डील

दोनों देशों के बीच 80 वर्ष से रिश्ते थे. उन्होंने कहा कि होंडुरास और ताइवान के बीच कभी स्थिर रिश्ते हुआ करते थे लेकिन चीन ने होंडुरास को लुभाना नहीं छोड़ा. उनके मुताबिक होंडुरास ने ताइवान से अरबों डॉलर की मदद मांगी थी और उनके प्रस्ताव को चीन के प्रस्ताव से तौला. उन्होंने कहा कि दो हफ्ते पहले होंडुरास ने एक अस्पताल व बांध बनाने और अपने कर्ज चुकाने के लिए के लिए ताइवान से 2.45 अरब डॉलर की मदद की मांग की थी.

वू ने कहा, "कास्त्रो सरकार ने हमारे देश की लंबे समय से जारी मदद और रिश्तों को खारिज कर दिया और चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते स्थापित करने के लिए बातचीत शुरू कर दी. इससे हमारी सरकार को दुख और अफसोस हुआ है.”

ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा कि उनकी सरकार "चीन के साथ डॉलर-डिप्लोमेसी के अर्थहीन मुकाबले में नहीं पड़ेगी.” त्साई ने कहा, "पिछले कुछ सालों में चीन ने ताइवान की अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी को दबाने, सैन्य दखल बढ़ाने और क्षेत्र की शांति व स्थिरता को नुकसान पहुंचाने के लिए लगातार अलग-अलग तरह के हथकंडे इस्तेमाल किए हैं.”

विश्लेषकों ने इस घटनाक्रम पर चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन निवेश और नौकरियां पैदा करने जैसे लुभावने वादे कर रहा है लेकिन सच्चाई अलग हो सकती है. होंडुरास में राजनीति विश्लेषक गार्सो पेरेज ने कहा, "यह सब मायावी साबित होगा.” उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों ने ऐसे ही रिश्ते स्थापित किए लेकिन वो नहीं मिला जिसका वादा किया गया था.

वादे और इरादे

चीन दशकों से दक्षिण अमेरिका में विभिन्न विकास परियोजनाओं में अरबों डॉलर झोंकता रहा है. इस निवेश से चीन को प्रभाव और कूटनीतिक सहयोगी बढ़ाने में कामयाबी मिली है.

चीन और ताइवान के बीच विवाद 1949 से ही जारी है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है जबकि ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र घोषित करता है. अब तक अमेरिका ‘वन चाइना' नीति के तहत सीधे तौर पर ताइवान को मान्यता देने से बचता रहा था लेकिन जो बाइडेन सरकार ने एक से ज्यादा बार ऐसे संकेत दिए हैं कि वह ताइवान की आजादी का समर्थक है. पिछले साल अमेरिकी संसद की तत्कालीन अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद इस बात को और मजबूत आधार मिला था.

चीन ताइवान पर अपने दावे को लेकर आक्रामक रहा है और कई बार कह चुका है कि ताइवान को अपने अधिकार में लेने के लिए जरूरत पड़ी तो बल प्रयोग से भी नहीं झिझकेगा. जो देश ताइवान को मान्यता देते हैं या उससे रिश्ते बढ़ाने की भी कोशिश करते हैं, चीन उनके खिलाफ कार्रवाई भी करता है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

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