हांगकांग: COVID-19 परीक्षण में विफल होने पर चीन ने WHO के 2 सदस्यों पर वुहान जाने से लगाईं रोक
कोविड-19 महामारी के कारणों का अध्ययन करने के लिए WHO की टीम गुरुवार को वुहान पहुंची है. चीन ने इस 13 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय टीम के दो सदस्यों को महामारी के केंद्र वुहान की यात्रा करने पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि सिंगापुर में कोरोना वायरस एंटीबॉडी परीक्षण में असफल होने के बाद सदस्यों पर यात्रा की रोक लगाई गई है.
हांगकांग, 15 जनवरी: कोविड-19 महामारी (COVID19) के कारणों का अध्ययन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम गुरुवार को वुहान पहुंची है. चीन ने इस 13 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय टीम के दो सदस्यों को महामारी के केंद्र (एपिसेंटर) वुहान की यात्रा करने पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि सिंगापुर में कोरोनावायरस एंटीबॉडी परीक्षण में असफल होने के बाद सदस्यों पर यात्रा की रोक लगाई गई है. इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया था कि 13 वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने कोविड-19 के कारणों का पता लगाने के लिए वुहान पहुंची है, जहां से वायरस की उत्पत्ति हुई थी. विशेषज्ञों को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए दो सप्ताह के क्वांरटीन प्रोटोकॉल के दौरान तुरंत अपना काम शुरू करना था. बाद में डब्ल्यूएचओ ने एक अलग ट्वीट में कहा कि आईजीएम एंटीबॉडी के लिए पॉजिटिव परीक्षण किए जाने के बाद उस टीम के दो सदस्य सिंगापुर में ही हैं.
आईजीएम एंटीबॉडी एक कोरोनो वायरस (Coronavirus) संक्रमण के शुरूआती संभावित संकेतों में से हैं. डब्लूएचओ ने एक ट्वीट में बताया है कि दो वैज्ञानिक अभी भी कोविड-19 परीक्षण पूरा करने के लिए सिंगापुर में ही हैं. गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि देश महामारी की रोकथाम के नियमों और आवश्यकताओं का कड़ाई से पालन करेगा और डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के लिए समान समर्थन और सुविधाएं प्रदान करेगा, जो वायरस के मूल स्थान का पता लगाने के लिए चीन पहुंचे हैं.
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शुरूआती आनाकानी के बाद और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम को अपने यहां आने की अनुमति दी है. बीजिंग पर यह आरोप है कि उसके वुहान शहर स्थित लैब से ही वैश्विक महामारी का कारण बनने वाला कोविड-19 वायरस पैदा हुआ और यहीं से पूरी दुनिया में फैल गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले यह आरोप लगाया था और इसे चीनी वायरस करार दिया था.