नई दिल्ली: काबुल (Kabul) के दश्त-ए-बारची इलाके में शिया-हजारा समुदाय की बस्ती के पड़ोस में स्थित एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बाहर तीन आत्मघाती बम विस्फोटों में 25 बच्चों सहित 30 से अधिक लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए. Afghanistan: अफगानिस्तान में कार में बम विस्फोट, 2 की मौत, 8 घायल
मंगलवार को विस्फोट उस समय हुआ, जब अफगानिस्तान की राजधानी में अब्दुल रहीम शाहिद हाईस्कूल में छात्र सुबह की कक्षाओं से बाहर आ रहे थे.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शिया स्कूल को सुबह दो आत्मघाती हमलावरों ने निशाना बनाया, जब छात्र इमारत से बाहर जा रहे थे. सोशल मीडिया पर तस्वीरों और वीडियो क्लिप में सड़क पर कई स्कूल बैग बिखड़े पड़े गए दिखाई दे रहे थे.
काबुल पुलिस के प्रवक्ता खालिद जादरान ने एक मीडिया आउटलेट को बताया, "तीन विस्फोट हुए हैं - एक हाईस्कूल में, कई शिया लोग हताहत हुए हैं. विस्फोट अब्दुल रहीम शाहिद स्कूल के मुख्य निकासद्वार पर हुआ, जहां छात्रों की भीड़ थी. इस हमले में एक शिक्षक आश्चर्यजनक रूप से बच गया और उसी ने मुझे बताया."
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने मीडिया को बताया कि "काबुल में आज स्कूल पर हुए हमले में एक पिता ने अपने तीन बेटों को खो दिया है."
हालांकि किसी भी समूह ने जिम्मेदारी का दावा नहीं किया है. इस इलाके में ज्यादातर शिया हजारा समुदाय के लोग रहते हैं. यह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है, जिसे अक्सर इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान (आईएसआईएस-के) द्वारा निशाना बनाया जाता है, जो एक सुन्नी आतंकवादी समूह है.
पिछले साल मई में इसी इलाके में एक गर्ल्स स्कूल को निशाना बनाया गया था, जिसमें 100 से अधिक छात्राओं की मौत हो गई थी.
पश्चिम काबुल शहर में हजारा-शिया समुदाय, विशेष रूप से इसके विशाल दश्त-ए-बारची क्षेत्र, शहर के सबसे घातक हमलों का निशाना बनता रहा है, खासकर 2016 के बाद से. विशेष रूप से पश्चिम काबुल में हजारा और शिया समुदाय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. अफगानिस्तान में अन्य जगहों पर भी इस समुदाय को लगातार निशाना बनाया गया है.
अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से हजारा और शिया मुस्लिम बहुल इलाकों में हत्याओं और बम विस्फोटों का सिलसिला जारी है.
तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से अफगानिस्तान के कुंदुज और कंधार प्रांतों में शिया-हजारा नागरिकों पर कम से कम दो घातक हमले हुए हैं. कुंदुज में पहले हमले में, 8 अक्टूबर, 2021 को शुक्रवार की नमाज के लिए जब 400 से अधिक लोग एकत्र हुए थे, उसी समय आईएसआईएस-के के एक आत्मघाती हमलावर ने सैयद अबाद मस्जिद पर हमला किया था. एक हफ्ते बाद आईएसआईएस-के के आत्मघाती हमलावर ने कंधार शहर की सबसे बड़ी शिया मस्जिद ग्रैंड फातिमा मस्जिद पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए. एक महीने बाद काबुल में उच्च सुरक्षा वाले सैन्य अस्पताल पर एक साहसी हमले में आईएसआईएस-के के आत्मघाती हमलावरों ने काबुल के लिए नियुक्त तालिबान के सैन्य प्रमुख को मार डाला.
हालांकि आईएसआईएस-के और तालिबान दोनों ही कट्टर सुन्नी इस्लामी आतंकवादी समूह हैं, लेकिन धर्म और रणनीति को लेकर उनके बीच तीखे मतभेद हैं और वे वर्षो से आपस में लड़े हैं.