AGR बकाया: सुप्रीम कोर्ट से वोडाफोन को बड़ा झटका, 2500 करोड़ रूपए के भुगतान का प्रस्ताव ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: IANS)

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया के भुगतान मामले में आज ही 2500 करोड़ रूपए और शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रूपए जमा करने का वोडाफोन का प्रस्ताव ठुकरा दिया. इसके अलावा न्यायालय ने कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से उसे राहत भी नहीं दी. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने वोडाफोन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इंकार कर दिया. रोहतगी ने पीठ से कहा था कि कंपनी ने एजीआर के सांविधिक बकाया राशि में से सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये तथा शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिये तैयार है लेकिन उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.

उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि सरकार के पास जमा वोडाफोन की बैंक गारंटी को भुनाया नहीं जाये। वोडाफोन आइडिया पर अनुमानित 53 हजार करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज के शीर्ष अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि 1.47 लाख करोड़ रूपए के समेकित सकल राजस्व (एजीआर) की अदायगी के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने पर उनके खिलाफ अवमाना की कार्यवाही की जायेगी. साथ ही न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुये सवाल किया था कि‘‘ क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा है.’’ यह भी पढ़े-वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल ने AGR भुगतान मामले में DoT को बताया- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का करेंगे इंतजार

शीर्ष अदालत की फटकार के बाद सरकार ने इन संचार कंपनियों के प्रति कड़ा रूख अपनाया. इस पर भारती एयरटेल ने सोमवार को कहा कि उसने 10,000 करोड़ रूपए का भुगतान दूरसंचार विभाग को किया. कंपनी ने कहा कि वह स्व:आकलन कवायद के बाद शेष राशि का भुगतान कर देगी. शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी, 2020 तक बकाया राशि का भुगतान करने संबंधी न्यायिक आदेश पर अमल नहीं किये जाने पर कड़ा रूख अपनाया था और दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के एक आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. इस अधिकारी ने समेकित सकल राजस्व के मामले में न्यायालय के फैसले के प्रभाव पर रोक लगा दी थी.

पीठ ने कहा कि इन संचार कंपनियों ने उसके आदेश का उल्लंघन किया है और उन्हें इस मामले में 17 मार्च को सुनवाई होने से पहले बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने समेकित सकल राजस्व की बकाया राशि के भुगतान के लिये और समय देने का अनुरोध करने वाली वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इस घटनाक्रम पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि कोई डेस्क अधिकारी भुगतान के लिये दबाव नहीं डालने जैसा आदेश कैसे दे सकता है कि जो शीर्ष अदालत के फैसले के प्रभाव पर रोक लगाता है.न्यायलाय ने स्पष्ट किया कि यदि उसके आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो दूसरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी और इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारी 17 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा था कि कानूनी रूप से बकाया राशि की गणना में संचार कंपनियों के गैर दूरसंचार राजस्व को भी शामिल करना होगा। न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के फैसले को बरकरार रखा था. इससे पहले, 16 जनवरी को न्यायालय ने कानूनी बकाया 1.47 लाख करोड़ रूपए की धनराशि का 23 जनवरी तक भुगतान करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिये इन कंपनियों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं.