Zero Shadow Day 2024: बेंगलुरु में आज मनाया गया जीरो शैडो डे, गायब हो गई लोगों की परछाई

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आज लोगों ने एक अनोखी खगोलीय घटना का अनुभव किया. आज दोपहर 12:17 बजे से लेकर 12:23 बजे के बीच लोगों ने अपनी परछाई को गायब होते हुए देखा.

Representative Image (Photo Credit- Wikimedia Commons)

Zero Shadow Day 2024: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आज लोगों ने एक अनोखी खगोलीय घटना का अनुभव किया. आज दोपहर 12:17 बजे से लेकर 12:23 बजे के बीच लोगों ने अपनी परछाई को गायब होते हुए देखा. दरअसल, बेंगलुरु में आज जीरो शैडो डे यानी कि शून्य छाया दिवस है. यह साल में दो बार उस समय होता है, जब सूर्य सीधे ऊपर की ओर स्थित होता है. इसके परिणामस्वरूप दोपहर के समय वस्तुओं या किसी इंसान की छाया नहीं दिखाई देती है.

यह घटना आम तौर पर भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्रों में देखी जाती है, जब सूर्य का कोण पृथ्वी की सतह पर लगभग लंबवत होता है. इसकी वजह से हमारी कोई छाया नहीं बन पाती है. इसी कारण से इस स्थिति को जीरो शैडो कहा जाता है.

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बेंगलुरु में मनाया गया शून्य छाया दिवस

शून्य छाया दिवस का वैज्ञानिक रहस्य

विज्ञान के नजरिये से देखा जाये तो शून्य छाया दिवस पृथ्वी के अक्षीय झुकाव और सूर्य के चारों ओर इसकी कक्षीय गति के कारण होता है, जो पृथ्वी, सूर्य और बदलते मौसम के बीच गतिशील संबंधों को दर्शाता है. वस्तुतः पृथ्वी की धुरी उसके कक्षीय तल के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है. इस कारण पूरे वर्ष आकाश में सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है. जिसके कारण दिन के उजाले की लंबाई और उस कोण में भिन्नता होती है. तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह पर पड़ता है. गर्मी के दिनों में, जो उत्तरी गोलार्ध में 21 जून और दक्षिणी गोलार्ध में 21 दिसंबर के आसपास होता है, पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण सूर्य स्थानीय सौर दोपहर में कर्क रेखा (उत्तरी गोलार्ध) या के साथ सीधे सिर के ऊपर होता है.

शून्य छाया दिवस पर बेंगलुरु में यहां आयोजित था कार्यक्रम

बंगलुरु में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (ICC) ने आज अपने कोरमंगला परिसर में शून्य छाया दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों की मेजबानी की. यहां लोगों को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक गतिविधियों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने वस्तुओं अथवा मनुष्य की बदलती छाया और सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के झुकाव को देखने का अनुभव किया.

अन्य जगहों पर कब महसूस किया जायेगा शून्य छाया दिवस ?

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