चंद्रमा से 9300 km प्रति घंटे की रफ्तार से कल टकराएगा ‘चीनी’ कचरा, बन जाएगा 66 फुट गहरा गड्ढा, सैकड़ों किलोमीटर तक फैलेगी धूल
यह कचरा एक रॉकेट का अवशेष है जो शुक्रवार को 5,800 मील प्रति घंटे (9,300 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से चंद्रमा के उस सूदूर स्थान से टकराएगा जहां दूरबीन की नजर नहीं पहुंचती. उपग्रह तस्वीरों की मदद से टक्कर से होने वाले प्रभाव की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने का समय लग सकता है.
केप केनवेरल (अमेरिका): चंद्रमा से 5,800 मील प्रति घंटे की रफ्तार से तीन टन अंतरिक्ष कचरा टकराने वाला है. यह टक्कर इतनी भीषण होगी कि इससे एक इतना बड़ा गड्ढा बन जाएगा जिसमें ट्रैक्टर ट्रेलर जैसे कई वाहन समा सकते हैं. यह कचरा एक रॉकेट का अवशेष है जो शुक्रवार को 5,800 मील प्रति घंटे (9,300 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से चंद्रमा के उस सूदूर स्थान से टकराएगा जहां दूरबीन की नजर नहीं पहुंचती. उपग्रह तस्वीरों की मदद से टक्कर से होने वाले प्रभाव की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने का समय लग सकता है. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने सौर प्रोटॉन घटनाओं का पता लगाया: इसरो
विशेषज्ञों ने कहा है कि यह रॉकेट चीन का है जिसे करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में भेजा गया था और तब से यह इधर-उधर घूम रहा है. हालांकि चीन के अधिकारियों ने इस रॉकेट के बीजिंग का होने पर संदेह जताया है. हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह रॉकेट किस देश का है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी भीषण टक्कर से चंद्रमा की सतह पर 33 से 66 फुट (10 से 20 मीटर) तक का गड्ढा बन जाएगा और चंद्र सतह की धूल सैकड़ों किलोमीटर तक फैल जाएगी.
अंतरिक्ष में निचली कक्षा में तैर रहे कचरे पर नजर रखना आसान होता है तथा सुदूर अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली वस्तुओं के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना कम ही होती है और उन्हें प्राय: शीघ्र ही विस्मृत भी दिया जाता है. हालांकि खगोलीय घटनाओं का आनंद उठाने वाले कुछ अंतरिक्ष पर्यवेक्षक इन पर अवश्य दृष्टि रखते हैं. इसी तरह के एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट कचरे की चंद्रमा से टक्कर होने संबंधी घटना का अनुमान लगाया था. ग्रे एक गणितज्ञ और एक भौतिकशास्त्री हैं. ग्रे ने शुरू में इस रॉकेट के स्पेसएक्स का होने का संदेह व्यक्त किया था जिसके बाद कंपनी को आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन एक महीने बाद ग्रे ने अपने संदेह में सुधार करते हुए कहा कि यह 2015 में भेजा गया स्पेसएक्स कंपनी का रॉकेट नहीं है.
उन्होंने कहा कि संभव है कि यह चीन का रॉकेट है जिसने 2014 में चांद पर एक परीक्षण सैंपल कैप्सूल भेजा था. कैप्सूल वापस आ गया था लेकिन रॉकेट अंतरिक्ष में ही भटकता ही रहा. चीन सरकार के अधिकारियों ने कहा कि बीजिंग का रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आने पर जल गया था. हालांकि समान नाम वाले दो चीनी अभियान थे जिनमें एक थी यह परीक्षण उड़ान और दूसरा 2020 में चंद्र सतह से पत्थरों के नमूने लाने का अभियान. अमेरिकी पर्यवेक्षकों का चीन के विपरीत भिन्न मत है. पृथ्वी के पास अंतरिक्ष कचरे पर दृष्टि रखने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष कमान ने मंगलवार को कहा कि 2014 के अभियान से जुड़ा चीनी रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में कभी वापस नहीं आया.