अब सूरज पर भारत की निगाहें, आदित्य एल-1 का सफल लॉन्च

आदित्य एल-1 भारत का पहला सोलर मिशन है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

आदित्य एल-1 भारत का पहला सोलर मिशन है. भारत के सफल चंद्रयान-3 अभियान के दो हफ्ते के अंदर ही इसे लॉन्च किया गया है. अंतरिक्ष में भारत की मजबूत मौजूदगी की दिशा में यह अगला कदम है.आदित्य एल-1 भारत का पहला सोलर मिशन है. भारत के सफल चंद्रयान-3 अभियान के दो हफ्ते के अंदर ही इसे लॉन्च किया गया है. अंतरिक्ष में भारत की मजबूत मौजूदगी की दिशा में यह अगला कदम है.

आदित्य एल-1 को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के एक हिस्से हेलो ऑर्बिट में छोड़ा गया है. इससे यह लगातार सूरज की निगरानी कर सकेगा. इसरो ने बताया, "यह सौर गतिविधियों और अंतरिक्षीय मौसम पर इसके असर का निरीक्षण करने के लिए ज्यादा अनुकूल स्थिति देगा."

शुरुआत में अंतरिक्षयान लो अर्थ ऑर्बिट में रखा जाएगा और फिर ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का इस्तेमाल करके इसे लेग्रॉन्ज पॉइंट (एल-1) की ओर लॉन्च किया जाएगा. लेग्रॉन्ज पॉइंट्स, अंतरिक्ष की ऐसी जगहें हैं, जहां भेजी गई चीजें स्थिर रहती हैं. इन बिंदुओं पर दो पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल, खिंचाव और विकर्षण का विस्तृत क्षेत्र बनता है. ऐसे में अंतरिक्षयान को अपनी जगह पर बने रहने के लिए कम ईंधन चाहिए होता है.

पांच लेग्रॉन्ज पॉइंट्स में से दो स्थिर और तीन अस्थिर हैं. अस्थिर पॉइंट्स हैं: एल1, एल2 और एल3. एल4 और एल5 स्थिर हैं. एल1 पॉइंट से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है.

तीनों अस्थिर पॉइंट्स, दोनों पिंडों को जोड़ने वाली क्षैतिज रेखा पर हैं. वहीं दोनों स्थिर बिंदु, दोनों पिंडों की दंडवत दिशा में समबाहु त्रिकोण के शीर्ष बनाती हैं.

इसरो के अंतरिक्षयान में सूर्य की बाहरी परतों के अध्ययन के लिए सात पेलोड्स होंगे. इस अभियान के कई लक्ष्यों में से एक अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन भी है. इससे पहले नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी सूर्य के अध्ययन के लिए ऐसे ऑबिटर्स भेज चुके हैं. लेकिन भारत के लिए यह पहला ऐसा अभियान होगा.

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