मिल्की वे में मिला रहस्यमयी खगोलीय पिंड, हर 44 मिनट में भेज रहा रेडियो और एक्स-रे सिग्नल
मिल्की वे आकाशगंगा में खगोलशास्त्रियों ने एक रहस्यमयी खगोलीय पिंड की खोज की है, जो हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल भेजता है.
मिल्की वे आकाशगंगा में खगोलशास्त्रियों ने एक रहस्यमयी खगोलीय पिंड की खोज की है, जो हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल भेजता है.खगोलशास्त्रियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में एक अजीब और रहस्यमयी खगोलीय वस्तु की खोज की है. यह हर 44 मिनट में रेडियो सिग्नल और एक्स-रे किरणें छोड़ती है और यह चक्र सक्रिय अवधि के दौरान लगातार चलता है.
इस वस्तु को एएसकेएपी जे 1831-091 (ASKAP J1832−091) नाम दिया गया है और यह धरती से लगभग 15,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. यह एक ऐसे क्षेत्र में है जहां बड़ी मात्रा में तारे, गैस और धूल मौजूद हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक अत्यधिक चुम्बकीय मृत तारा हो सकता है, जैसे कि न्यूट्रॉन स्टार या व्हाइट ड्वॉर्फ. या फिर यह कुछ ऐसा है जिसे विज्ञान अभी तक नहीं जानता.
ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जितेंग एंडी वांग ने बताया, "यह कोई ज्ञात वस्तु हो सकती है जो पहली बार इस तरह से रेडियो और एक्स-रे दोनों तरंगों का उत्सर्जन कर रही है, या यह कुछ पूरी तरह नया हो सकता है.”
कैसे हुई खोज?
नासा की चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी ने पिछले साल इस रहस्यमयी वस्तु से निकलती एक्स-रे तरंगों को संयोगवश देखा, जब वह एक सुपरनोवा के अवशेषों का अध्ययन कर रहा था. पहले कभी किसी ‘लॉन्ग-पीरियड रेडियो ट्रांजिएंट', यानी ऐसी वस्तु जो कई मिनटों तक रेडियो सिग्नल भेजती हो, से एक्स-रे सिग्नल नहीं देखे गए थे.
इसका सक्रिय चरण लगभग एक महीने तक चला और उसके बाद यह शांत हो गया. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की और भी वस्तुएं ब्रह्मांड में मौजूद हो सकती हैं, लेकिन वे अब तक हमारी विज्ञान की पकड़ में नहीं आईं.
रहस्य और संभावनाएं
वांग ने कहा, "हमारी खोज इस रहस्य को सुलझाने के बजाय और गहरा कर सकती है, लेकिन यह हमें दो संभावनाओं के करीब जरूर ले जाती है. पहली कि या तो हम किसी पूरी तरह नए प्रकार की वस्तु खोज रहे हैं. या फिर किसी ज्ञात वस्तु का ऐसा व्यवहार देख रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं देखा गया.
चंद्रा वेधशाला 1999 से पृथ्वी की कक्षा में है और ब्रह्मांड की सबसे गर्म और ऊर्जावान घटनाओं का निरीक्षण करती है. एएसकेएपी की खोज इस बात का संकेत हो सकती है कि ब्रह्मांड में अभी भी बहुत कुछ है जिसे हम नहीं जानते और जो हमें हमारे ब्रह्मांड की संरचना और रहस्यों को समझने में और आगे ले जा सकता है.