Moon Shrinking Research: तेजी से सिकुड़ रहा है चांद, जमीन पर पड़ी दरारें! जल्द आएगा भूकंप? नई रिसर्च में डरावना खुलासा

चांद धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है. यह सिकुड़न उसके अंदरूनी भाग के ठंडा होने के कारण हो रही है, जिससे चांद की सतह पर झुर्रियां पड़ रही हैं, ठीक उसी तरह जैसे किशमिश सूखने पर सिकुड़ जाती है.

Moon Shrinking Research Report: हाल ही में हुए एक शोध से इस बात का पता चला है कि हमारा चांद धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है. यह सिकुड़न उसके अंदरूनी भाग के ठंडा होने के कारण हो रही है, जिससे चांद की सतह पर झुर्रियां पड़ रही हैं, ठीक उसी तरह जैसे किशमिश सूखने पर सिकुड़ जाती है. वैज्ञानिक रूप से इन्हें "थ्रस्ट फॉल्ट्स" कहा जाता है, जो चांद की सतह को पूरी तरह से बदल रहे हैं.

जैसे-जैसे चांद ठंडा होता है, उसकी सतह सिकुड़ती जाती है और उसकी भंगुर पपड़ी टूटने लगती है. इस प्रक्रिया में दरारें बनती हैं, जिन्हें "फॉल्ट स्कार्प्स" कहा जाता है. ये स्कार्प्स कई दस मीटर ऊंचे हो सकते हैं और ये उस प्रक्रिया का प्रमाण हैं जो बताती हैं कि चांद अभी भी भूगर्भिक रूप से सक्रिय है. यह खोज उस पुरानी धारणा को चुनौती देती है कि चांद भूगर्भिक रूप से निष्क्रिय है.

यह घटना सिर्फ रोचक ही नहीं है, बल्कि भविष्य के चंद्र अन्वेषणों के लिए भी चिंता का विषय है. युवा स्कार्प्स की पहचान से पता चलता है कि चांद आज भी भूगर्भिक रूप से सक्रिय है. इस गतिविधि का मतलब है कि चंद्र सतह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को न केवल एक विदेशी परिदृश्य का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि संभावित भूकंपीय खतरों का भी सामना करना पड़ सकता है. प्लेनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित "टेक्टोनिक्स एंड सीस्मिसिटी ऑफ द लूनर साउथ पोलर रीजन" अध्ययन का दावा है कि चंद्र सतह स्थिर नहीं है, बल्कि अभी भी विकसित हो रही है, अपेक्षाकृत कम भूगर्भिक समय में अपनी विशेषताओं को बदल रही है.

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन के प्रमुख लेखक थॉमस आर वॉटर्स ने इस बात पर जोर दिया कि चांद की निष्क्रिय दिखने वाली उपस्थिति के विपरीत, उसके गतिशील स्वरूप को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है. चांद का सिकुड़ना, जो लाखों वर्षों में लगभग 150 फीट परिधि में हुआ है, उसके भूगर्भिक गतिविधि का प्रमाण है, जो ठंडे और सिकुड़ते कोर से प्रेरित है.

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