11 अगस्त: हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट के बाद, विपक्ष ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है. इस रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. विपक्ष ने इस मामले की तुरंत जांच की मांग की है.
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार रात को कांग्रेस की ओर से बयान जारी करते हुए कहा, "अदानी मेगास्कैम की जांच को लेकर SEBI की अजीब हिचकिचाहट लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति के संदर्भ में. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि SEBI ने 2018 में विदेशी फंड्स के अंतिम लाभार्थी (अर्थात वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर किया और 2019 में इसे पूरी तरह हटा दिया." जयराम रमेश के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोपों से SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के साथ 2022 में गौतम अदानी की नियुक्ति के बाद हुई दो बैठकों पर नए सवाल खड़े होते हैं.
इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मामले की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि अदानी के स्टाइल में, SEBI प्रमुख भी उनके समूह में निवेशक हैं. महुआ मोइत्रा ने इसे "क्रोनी कैपिटलिज्म" यानी भाई-भतीजावाद की चरम सीमा बताते हुए कहा कि इस मामले में कथित धनशोधन की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को तुरंत कदम उठाना चाहिए.
विपक्ष के इन हमलों के बाद राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक निष्पक्ष और व्यापक जांच जरूरी है. इसके अलावा, वे केंद्र सरकार पर भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों SEBI इस मामले में निष्पक्षता नहीं दिखा रही है.
विपक्ष का यह भी कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अदानी समूह के साथ केंद्र सरकार के नजदीकी संबंधों की जांच होनी चाहिए. विपक्षी दल इस मामले को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं, जबकि सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है.
आगे देखना होगा कि इस राजनीतिक विवाद में कौन से नए मोड़ आते हैं और क्या वास्तव में इस मामले की निष्पक्ष जांच हो पाएगी. जनता की नजर अब सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हुई है.