JAXA Destroy Asteroid in Space: धरती से टकराने वाले उल्कापिंड को आसमान में ही नष्ट कर देगा जापान, हायाबुसा रॉकेट ने सेट किया टारगेट
जापान के हायाबुसा अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की ओर बढ़ रहे एक क्षुद्रग्रह का पता लगाया था, जिसे अब जापान अतंरिक्ष में ध्वस्त करना चाहता है.
22 दिसंबर, टोक्यो: जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) पृथ्वी से टकराने वाले उल्कापिंड को रोकने और नष्ट करने की तकनीक का परीक्षण कर रही है. 2014 में जापान के हायाबुसा अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की ओर बढ़ रहे एक क्षुद्रग्रह का पता लगाया था, जिसे अब जापान अतंरिक्ष में ध्वस्त करना चाहता है.
जापान का निरंतर अनुसंधान: 2018 में क्षुद्रग्रह से संबंधित अनुसंधान में लॉन्च हुए जापान ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है और निरंतर अनुसंधान कर रहा है. इसने नमूने भी एकत्र किए और उन्हें दिसंबर 2020 में पृथ्वी पर वापस भेजा. 30 मीटर व्यास वाले उल्कापिंड ने पुष्टि की कि यह पृथ्वी से 374,000 किमी की दूरी पर सूर्य की परिक्रमा भी करता है. 2023 Warmest Year Ever: प्रलय की तरफ बढ़ रही धरती! मानव इतिहास का सबसे गर्म साल है 2023, WMO की रिपोर्ट ने डराया
आसमान में उल्कापिंड को मारकर नष्ट करने की कोशिश: वहीं यह पता चला है कि यह उल्कापिंड भविष्य में धरती से टकरा सकता है, लेकिन जापान इससे बचने के लिए इस पर शोध कर रहा है. इस उद्देश्य के लिए हायाबुसा 2 रॉकेट भी विकसित किया जा रहा है. जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराएगा उसका नाम 1998 KY26 है. Volcano Eruption in Japan Videos: इवो जीमा द्वीप पर ज्वालामुखी फटा, आसमान में उड़ती हुई राख का वीडियो वायरल
प्राकृतिक आपदाओं की तरह, अंतरिक्ष तूफान: उल्कापिंड हर 100 से 1000 वर्षों में पृथ्वी से टकराते रहते हैं. जापानी अंतरिक्ष एजेंसी ने भी कहा है कि इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए जापान ने संबंधित अध्ययन भी किए हैं.
क्षुद्रग्रह अगर धरती से टकरा जाए तो क्या होगा?
क्षुद्रग्रह काफी भारी पत्थर जैसे होते हैं और तेज रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं. ये जिस जगह पृथ्वी से टकराते हैं, वहां काफी नुकसान होता है. जब ये पृथ्वी के निकट आते हैं तो हाई स्पीड और डेंस एयर की वजह से जल जाते हैं और वातावरण में ही जल जाते हैं. अगर ये 25 मीटर से छोटा है तो इसका ज्यादा खतरा नहीं होता है और यह पृथ्वी की सतह तक आ सकता है.
पृथ्वी पर भारी तबाही
अगर एस्टेरॉइड की साइड 25 मीटर से ज्यादा और एक किलोमीटर से कम है तो गिरने वाले स्थान के आस-पास तबाही कर सकता है. ज्यादा बड़ा है तो उसका ज्यादा नुकसान होगा. इसका मतलब ये नहीं है कि ये पृथ्वी को खत्म कर देगा.