Sir Ludwig Guttmann Google Doodle: सर लुडविग गुट्टमन की 122वीं जयंती, गूगल ने पैरालंपिक खेलों के संस्थापक को समर्पित किया ये खास डूडल

ओलंपिक खेलों के साथ ही पैरालंपिक खेलों के जनक माने जाने वाले जर्मन डॉक्टर सर लुडविग गुट्टमन की 122वीं जयंती पर गूगल ने खास डूडल समर्पित किया है. सर लुडविग गुट्टमन का जन्म 3 जुलाई 1899 को टॉस्ट, जर्मनी (अब टोस्जेक, पोलैंड) में हुआ था. उनकी जयंती के खास अवसर पर बाल्टीमोर के गेस्ट आर्टिस्ट आशांति फोर्टसन ने सर लुडविग गुट्टमन का डूडल बनाया है.

सर लुडविग गुट्टमन गूगल डूडल (Photo Credits: Google)

Sir Ludwig Guttmann Google Doodle: ओलंपिक खेलों (Paralympic Games) के साथ ही पैरालंपिक खेलों के जनक माने जाने वाले जर्मन डॉक्टर सर लुडविग गुट्टमन की 122वीं जयंती पर (Sir Ludwig Guttmann 122nd Birth Anniversary) गूगल (Google) ने खास डूडल (Doodle) समर्पित किया है. सर लुडविग गुट्टमन (Sir Ludwig Guttmann) का जन्म 3 जुलाई 1899 को टॉस्ट, जर्मनी (अब टोस्जेक, पोलैंड) में हुआ था. उनकी जयंती के खास अवसर पर बाल्टीमोर के गेस्ट आर्टिस्ट आशांति फोर्टसन (Ashanti Fortson) ने सर लुडविग गुट्टमन का डूडल बनाया है. आज यानी 3 जुलाई को खास डूडल के जरिए गूगल ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सर लुडविग पोप्पा गुट्टमन की जयंती का जश्न मना रहा है. इस डूडल में सर लुटमैन ठीक बीच में नजर आ रहे हैं और उनके चारों ओर पैरालंपिक खेलों के कई क्षणों को दिखाया गया है.

पैरालंपिक खेलों के संस्थापक माने जाने वाले लुडविग गुट्टमन एक प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट थे. 1924 में उन्होंने एमडी की डिग्री प्राप्त की. दरअसल, उन्होंने रीढ़ की हड्डी की चोटों और न्यूरोसर्जिकल कार्य प्रक्रियाओं पर शोध किया था, जिसने उन्हें सबसे प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट में से एक बना दिया. हालांकि जर्मनी में नाजीवाद के उदय के दौरान यहूदी होना एक अभिशाप था. साल 1933 में उन्हें देश में चिकित्सा अभ्यास करने की अनुमति नहीं थी. अपने जीवन को दांव पर लगाकर वे देश से भागने में सफल रहे और साल 1939 में इंग्लैंड में सुरक्षित आश्रय पाया. यह भी पढ़ें: Margherita Hack Google Doodle: 'द लेडी ऑफ द स्टार्स' का 99वां जन्मदिन, गूगल ने इटैलियन प्रोफेसर व खगोल भौतिकीविद् मार्गेरिटा हैक को समर्पित किया खास डूडल

इंग्लैंड में आश्रय पाने के बाद उन्होंने पैरापलेजिया (Paraplegia) नामक स्थिति पर और अधिक शोध कार्य किए. साल 1948 में उन्होंने व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए एक तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया, जो अब पैरालंपिक खेलों (Paralympic Games) के रूप में जाना जाता है. उस समय इसे स्टोक मैंडविल गेम्स (Stoke Mandeville Games) के नाम से जाना जाता था, जिसका नाम उस अस्पताल के नाम पर रखा गया था, जिसमें वह काम कर रहे थे.

सर गुट्टमन ने 1960 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक खेलों की शुरुआत की भी घोषणा की, जबकि रीढ़ की हड्डी की चोटों और न्यूरोलॉजी के अन्य पहलुओं में उनके शोध को दुनिया भर के चिकित्सा बिरादरी द्वारा याद किया जाता है. विकलांग समुदाय को दिखाने के लिए एक मंच देने की दिशा में जो उनका बहुमूल्य योगदान उन्हें मिला है, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.

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