World Para Athletics: भारत के सचिन सरजेराव खिलारी ने शॉट पुट में जीता गोल्ड मेडल, गैंगरीन को दी मात, साइकिल से गिरकर टूटा था हाथ
जापान में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के सचिन सारजेराव ने पुरुषों की शॉट पुट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. उन्होंने F-46 वर्ग में 16.30 मीटर का थ्रो फेंककर एशियाई रिकॉर्ड भी अपने नाम किया.
जापान में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के सचिन सारजेराव ने पुरुषों की शॉट पुट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. उन्होंने F-46 वर्ग में 16.30 मीटर का थ्रो फेंककर एशियाई रिकॉर्ड भी अपने नाम किया.
यह कहानी है उस सचिन खिलारी की, जिनके जीवन में एक साइकिल हादसे ने तूफान ला दिया था. 9 साल की उम्र में साइकिल से गिरने के बाद उनके बाएं हाथ में फ्रैक्चर हो गया था. धीरे-धीरे गैंगरीन फैलने लगा और हाथ तो बच गया, लेकिन उसकी गतिविधियाँ सीमित हो गईं, लेकिन सचिन ने हिम्मत नहीं हारी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने भाला फेंकना शुरू किया. एक प्रतियोगिता के दौरान कंधे में चोट लगने के कारण उन्हें शॉट पुट की ओर रुख करना पड़ा.
बुधवार को, जापान के कोबे में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 34 वर्षीय सचिन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक नए एशियाई रिकॉर्ड के साथ अपने विश्व खिताब का बचाव किया. उनके स्वर्ण पदक के साथ ही धरमबीर के पुरुषों के क्लब थ्रो (F51 इवेंट) में कांस्य पदक ने भारत को 10 पदकों के अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पार करते हुए 12 पदक दिलाने में मदद की.
सचिन का 16.30 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो टोक्यो पैरालिंपिक चैंपियन ग्रेग स्टीवर्ट के 16.14 मीटर के थ्रो से भी बेहतर था. वर्तमान विश्व रिकॉर्ड धारक अमेरिका के जोशुआ सिनामो 15.26 मीटर के थ्रो के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
सचिन कहते हैं, "कोबे में मौसम थोड़ा ठंडा था, इसलिए मुझे तालमेल बिठाना पड़ा. मुझे अपने दाहिने पैर के घुमाव में सुधार करने की ज़रूरत है और मुझे अपनी पावर पोज़िशन पर काम करना होगा और पेरिस पैरालिंपिक से पहले यही मेरा लक्ष्य है."
सचिन सांगली जिले के अत्पाडी तालुका के करगनी गांव के रहने वाले हैं, जो अनार की खेती के लिए प्रसिद्ध है. 18 एकड़ जमीन के मालिक सचिन एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. अपने पिता महाराष्ट्र कृषि भूषण पुरस्कार से सम्मानित सरजेराव रंगनाथ खिलारी से सचिन ने पौधों और मिट्टी की कहानियाँ सुनते हुए ही बचपन बिताया था.
सचिन कहते हैं, "मेरे पिताजी को खेती का बहुत शौक था. वह मुझसे और मेरे भाई-बहनों से अलग-अलग फसलों के बारे में अपने विचार साझा करते थे. उन्होंने हमें विभिन्न खानपान, खासकर विदेशों में रहने वाले लोगों के बारे में बताया. मुझे यह सब बहुत रोमांचक लगता था."