Tokyo Olympics 2020: 20 साल बाद उतरेगा भारत का कोई घुड़सवार, इस खिलाड़ी पर टिकी हैं सबकी निगाहें

फवाद ने पोलैंड में आयोजित CCI44 लॉन्ग इवेंट प्रतियोगिता में अपने दोनों घोड़ों के साथ जरूरी न्यूनतम पात्रता आवश्यकता को पूरा करते हुए अपने लिए टोक्यो ओलंपिक का कोटा सुनिश्चित किया. उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि भारत की ओर से ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे. उनकी स्पर्धा का आयोजन 30 जुलाई से शुरू होगा.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit PTI)

नई दिल्ली: कुश्ती, पहलवानी (Wrestling), बैडमिंटन (Badminton), टेनिंस (Tennis) के अलावा भारत (India) को घुड़सवारी (Equestrian) में भी पदक (Medal) की उम्मीद है और टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) की घुड़सवारी स्पर्धा में भारत की उम्मीदें फवाद मिर्जा (Fawad Mirza) पर टिकी हैं. 20 साल बाद ओलंपिक में घुड़सवारी स्पर्धा में भाग लेने वाले फवाद मिर्जा पहले भारतीय होंगे. फवाद ने लॉन्ग इवेंट प्रतियोगिता स्पर्धा में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है, जिसे घुड़सवारी ट्रायल थॉम्ब के तौर पर जाना जाता है. 2018 के एशियाई खेलों (Asian Games) में फवाद ने 2 रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की थी. इस पदक के साथ ही वह 1982 के बाद से घुड़सवारी स्पर्धा में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने और और भारत के 36 साल पुराने पदक के इंतजार को खत्म किया. Tokyo Olympics 2020: जानें भारत का पूरा शेड्यूल, इवेंट टाइम, साथ में और भी बहुत कुछ

फवाद को घोड़े से है खास लगाव

अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित फवाद मिर्जा बेंगलुरु से हैं. सिर्फ 6 महीने की उम्र में ही अपने पिता के साथ घोड़े पर सवार हो गए. उन्हें घुड़सवारी विरासत में मिली, उनके पिता डॉ हसनैन मिर्जा एक घुड़सवार के साथ ही पशु चिकित्सक हैं. फवाद बताते हैं कि उन्हें घोड़े बहुत पसंद हैं और उनके साथ रहना और काम करना उन्हें अच्छा लगता है. लेकिन बड़े होकर फवाद ने जिस तरह से घोड़े की लगाम अपने हाथ में ली, उससे दुनिया हैरान रह गई. ऐसा नहीं है कि भारत में घुड़सवारी का क्रेज नहीं है, बल्कि भारत में इन खेलों में सेना का प्रभाव है, लेकिन 34 साल के फवाद का संबंध सेना से नहीं है.

फवाद ने पोलैंड में आयोजित CCI44 लॉन्ग इवेंट प्रतियोगिता में अपने दोनों घोड़ों के साथ जरूरी न्यूनतम पात्रता आवश्यकता को पूरा करते हुए अपने लिए टोक्यो ओलंपिक का कोटा सुनिश्चित किया. उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि भारत की ओर से ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे. उनकी स्पर्धा का आयोजन 30 जुलाई से शुरू होगा.

ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के घुड़सवार

ओलंपिक के सफर में फवाद क्वालीफाई करने वाले तीसरे भारतीय घुड़सवार है. उन से पहले इंद्रजीत लांबा (1996, अटलांटा) और इम्तियाज अनीस (2000, सिडनी) भी ओलंपिक ‘इवेंटिंग’ में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

पूर्व जर्मन विश्व चैंपियन से लिया है प्रशिक्षण

आपको जानकर हैरानी होगी कि फवाद ओलंपिक के लिए पिछले कई साल से जिस कोच से प्रशिक्षण ले रहे हैं, वह पूर्व जर्मन विश्व चैंपियन और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सैंड्रा औफार्थ हैं. सैंड्रा औफार्थ खुद भी टोक्यो ओलंपिक में मुकाबले में हिस्सा लेंगे.

ओलंपिक में घुड़सवारी का सफर

ओलंपिक में घुड़सवारी की शुरुआत साल 1900 में पेरिस में आयोजित खेलों में प्रदर्शनी के तौर पर शामिल किया गया. हालांकि आधिकारिक आगाज 1912 में स्टॉकहोम में हुआ. इसके बाद लगातार खेलों का हिस्सा बना रहा है. ओलंपिक के इतिहास में घुड़सवारी में जर्मनी का दबदबा रहा है, जिसने इसमें सबसे अधिक 26 स्वर्ण जीते है. इसके बाद स्वीडन, फ्रांस और अमेरिका हैं, जिन्होंने इसमें अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत की नजरें ओलंपिक में फवाद के प्रदर्शन पर होगी. कह सकते हैं कि अर्जुन अवॉर्डी फवाद मिर्जा जैसे खिलाड़ी न्यू इंडिया के युवा उत्साह, जोश, कौशल का जीता-जागता प्रतीक हैं. देश में घुड़सवारी खेलों का भविष्य एक हद तक उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा.

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