क्रिकेट जगत ने वसंत रायजी के निधन पर जताया शोक
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर और पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने वसंत रायजी के निधन पर उनको श्रद्धंजलि अर्पित की है. रायजी का शनिवार को 100 साल की उम्र में निधन हो गया.
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर और पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने वसंत रायजी के निधन पर उनको श्रद्धंजलि अर्पित की है. रायजी का शनिवार को 100 साल की उम्र में निधन हो गया. वह भारत के सबसे उम्रदराज प्रथम श्रेणी क्रिकेटर थे. तेंदुलकर ने ट्वीट करते हुए लिखा, "मैं बसंत रायजी से उनके 100वें जन्मदिन पर मिला था. उनका क्रिकेट खेलने और देखने का जुनून शानदार था. उनके जाने से मुझे दुख पहुंचा है. उनके परिवार और दोस्तों के साथ मेरी संवेदनाएं." युवराज ने ट्वीट किया, "बसंत रायजी के निधन पर उनको मेरी तरफ से श्रद्धंजलि। भगवान उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में हिम्मत दे."
भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप सिंह ने लिखा, "भारत के सबसे उम्रदराज प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बसंत रायजी की आत्मा को भगवान शांति दे. उन्होंने हाल ही में क्रिकेट के दिग्गजों के साथ अपना 100वां जन्मदिन मनाया था. वह जिंदगी में ऑलराउंडर थे, वह इतिहासकार भी थे और चार्टर्ड अकाउंटेट भी." बीसीसीआई ने एक बयान में कहा, "बीसीसीआई को बड़े दुख के साथ पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और इतिहासकार बसंत रायजी के निधन के बारे में पता चला. वह इसी साल 26 जनवरी को 100 साल के हुए थे."
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इस साल 26 जनवरी को रायजी ने अपना 100वां जन्मदिन मनाया था और इस जश्न में सचिन तेंदुलकर और स्टीव वॉ शामिल हुए थे. भारत ने जब घरेलू जमीन पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला था तब रायजी 13 साल के थे. वह हालांकि मुंबई के जिमखाना में 1932 में यह मैच देखने में सफल रहे थे. उन्होंने बाद में क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के साथ नागपुर में 1939 में सेंट्रल प्रोविसेंस के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया.
दाएं हाथ के बल्लेबाज रायजी ने 1941 में मुंबई के लिए अपना पहला मैच खेला और विजय मर्चेट की कप्तानी में पारी की शुरुआत की. यह मैच ड्रॉ रहा था. अपने करियर में बाद में वह बड़ौदा के लिए भी खेले. उन्होंने नौ प्रथम श्रेणी मैच खेले जिसमें दो अर्धशतक जमाए और 277 रन बनाए. वह 1941 की बाम्बे पेंटेंगुलर की हिंदुज टीम में रिजर्व खिलाड़ी थे.
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बीसीसीआई ने एक बयान में कहा, "संन्यास के बाद उन्होंने घर का व्यवसाय संभाला, लेकिन खेल के जुनून ने उन्हें खेल से जुड़ा हुआ रखा. वह जॉली क्रिकेट क्लब के संस्थापक सदस्य थे. उन्होंने रंजीतसिंह, दलीपसिंह, विक्टर ट्रम्पर, सीके नायडू पर किताबें लिखीं. उन्हें किताबें और स्मृति चिन्ह इकट्ठा करने का शौक था." क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद रायजी ने लेखन किया था. पेशे से वह हालांकि चार्टर्ड एकाउंटेंट थे.
साल 2016 में बीके गुरुदाचार के निधन के बाद रायजी देश के सबसे वयोवृद्ध प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बने थे. सात मार्च को जॉन मैनर्स के निधन के बाद रायजी दुनिया के सबसे वयोवृद्ध प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बने थे.