Lonar Lake: महाराष्ट्र की 50 हजार साल पुरानी लोनार झील का पानी रहस्यमय तरीके से हुआ गुलाबी, NASA द्वारा ली गई तस्वीरों को देख आप भी हो जाएंगे दंग

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से भी एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. इस जिले में मौजूद करीब 50 हजार साल पुरानी लोनार झील का पानी अचानक रहस्यमय तरीके से गुलाबी हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि पानी में शैवाल और लवणता की उपस्थिति के कारण अचानक लोनार झील हरे रंग से गुलाबी रंग में तब्दील हो गई. नासा द्वारी जारी तस्वीरें देख आप भी हैरान हो जाएंगे.

लोनार झील (Photo Credits: @ParveenKaswan Twitter)

कोरोना संकट के बीच पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर में अजीबो-गरीब घटनाएं हो रही हैं. इस बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) के बुलढाणा (Buldhana) जिले से भी एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. इस जिले में मौजूद करीब 50 हजार साल पुरानी लोनार झील (Lonar Lake) का पानी अचानक रहस्यमय तरीके से गुलाबी हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि पानी में शैवाल और लवणता की उपस्थिति के कारण लोनार झील हरे (Green) रंग से गुलाबी रंग (Pink) में तब्दील हो गई, जिसे देख निवासियों के आश्चर्य का कोई ठिकाना ही नहीं रहा. नासा अर्थ ऑब्रजर्वेटरी (NASA Earth Observatory) ने 25 मई और 10 जून को करीब 50 साल पुरानी इस झील की तस्वीरें ली थीं, हालांकि वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इस झील का पानी अचानक से गुलाबी कैसे हो गया?

बुलढाणा जिले में स्थित यह झील मुंबई से करीब 500 किमी की दूरी पर है. रहस्यमय तरीके से झील का गुलाबी होना दुनिया भर के वैज्ञानिकों को आकर्षित कर रहा है. इसके अलावा यह एक लोकप्रिय पर्यटन केंद्र भी बन गया है. बताया जाता है कि दशकों से यह झील गहरे नीले-हरे रंग की थी. इस झील का पानी अत्यधिक क्षारीय और नमकीन है.

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नासा का कहना है कि भारत की इस झील की पहचान साल 1823 में ब्रिटिश ऑफिसर सी जे ई अलेक्जेंडर द्वारा की गई थी. लोनार झील दक्खन के पठार के भीतर स्थित है, जो लगभग 65 मिलियन साल से ज्वालामुखी विस्फोटों से बचे बेसाल्ट रॉक का एक विशाल मैदान है. इस बेसाल्ट क्षेत्र को लेकर कुछ भूवैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ज्वालामुखीय गड्ढा था. इसके अलावा वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस झील का निर्माण उल्‍का पिंडा के गिरने से हुआ होगा.

वहीं महाराष्ट्र पर्यटन के ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में भूविज्ञानी गजानन खरात (Gajanan Kharat) ने कहा कि झील पहले भी रंग बदल चुकी है, लेकिन हाल में झील में हुआ बदलाव रहस्यमय और अलग है. खरात ने यह भी कहा कि झील में लवणता बढ़ गई है, क्योंकि इस साल जलस्तर बहुत नीचे चला गया है और यह गर्म भी हो गया है, जिसके कारण शैवाल की अतिवृद्धि हो गई है. यह शैवाल गर्म तापमान में लाल रंग में तब्दील हो जाते हैं, इसलिए यह झील रातोंरात गुलाबी हो गई. यह भी पढ़ें: लॉकडाउन इफेक्ट: गंगा में घटा प्रदूषण का स्तर, ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास इस पवित्र नदी के बहते साफ पानी का वीडियो हुआ वायरल

हाल ही में जब लोनार झील का रंग बदला तो राज्य वन विभाग के अधिकारियों ने रंग परिवर्तन के सटीक कारण को जानने के लिए पानी के नमूने एकत्र किए. इस बीच बॉम्बे हाइकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पर्यावरण विशेषज्ञ झील की सतह और पास के बांध से पानी के नमूनों से प्राप्त निष्कर्षों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

हालांकि यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि झील का गुलाबी होना कोविड-19 महामारी के कारण देश में लगाए गए लॉकडाउन से भी संबंधित हो सकता है, लेकिन महाराष्ट्र के बाबासाहेब आंबेडकर विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख मदन सूर्यवंशी ने एएफपी को बताया कि यह संभव नहीं है. ऑस्ट्रेलिया का हिलियर लेक भी गुलाबी हो गया था, जिसका कारण हल्बोबैक्टीरिया (Halobacteriaceae) को बताया गया. ये बैक्टीरिया गुलाबी रंग के सूक्ष्मजीव हैं जो पानी में उच्च लवणता के साथ काम करता है, लेकिन नासा का कहना है कि गुलाबी रंग बार-बार नहीं बदलता है.

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