COVID-19 Fact Check Series: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच साल 2020 से ये 5 फेक सोशल मीडिया मैसेजेस फिर से आए हैं लौट

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच कोविड-19 के इलाज और घरेलू उपचार से जुड़ी फेक जानकारियों को एक बार फिर से व्यापक तौर पर प्रसारित किया जाने लगा है. हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही 5 फेक सोशल मीडिया मैसेजेस, जो साल 2020 के बाद एक बार फिर से लौट आए हैं.

कोविड-19 फैक्ट चेक सीरीज (Photo Credits: File Image)

COVID-19 Fact Check Series: दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Coronavirus) के प्रकोप से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आलम तो यह है कि अस्पतालों में बेड की कमी, ऑक्सीजन की किल्लत और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते मरीज दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में संकट की इस घड़ी में यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने घरों में रहकर कोविड-19 (COVID-19) रोकथाम से जुड़े सभी नियमों का सख्ती से पालन करें. हालांकि मौजूदा स्थिति में सोशल मीडिया पर व्यापक तौर पर शेयर किए जाने वाले फेक न्यूज (Fake News) और गलत सूचनाओं (False Information) से लोग भ्रम के शिकार भी तेजी से हो रहे हैं.

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच कोविड-19 के इलाज और घरेलू उपचार से जुड़ी फेक जानकारियों को एक बार फिर से व्यापक तौर पर प्रसारित किया जाने लगा है. हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही 5 फेक सोशल मीडिया मैसेजेस, जो साल 2020 के बाद एक बार फिर से लौट आए हैं. यह भी पढ़ें: Fake News की कैसे करें पहचान? COVID-19 महामारी के दौरान गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए रखें इन बातों का ख्याल

1- रामायण के बाल कांड में मिल रहे बाल और पानी से COVID-19 का हो सकता है इलाज?

फेक जानकारी- रामायण के बाल कांड में मिल रहे बाल से कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है. पिछले साल भी दावा किया गया था कि अगर आपके घर में रामायण की पवित्र पुस्तक है, तो आपको बाल कांड में बाल मिलेगा और इसका पानी पीने से कोरोना ठीक हो सकता है, जो कि महज एक कोरी अफवाह है.

सच्चाई- डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया था कि कोविड-19 के लिए अभी तक कोई इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इस स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेंसिंग और सेल्फ क्वारंटीन है.

2- डब्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस से किसी भी शाकाहारी की मौत नहीं हुई?

फेक जानकारी- कोविड-19 केवल मांसाहारी लोगों को होता है और इससे अभी तक किसी भी शाकाहारी की मौत नहीं हुई है. जो लोग मांसाहारी भोजन का सेवन करते हैं, उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अधिक होता है. यह जानकारी चीन में चमगादड़ खाने वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने की अफवाहों पर आधारित लगती है.

सच्चाई- इस बात का कई सबूत नहीं है कि मांसाहारी भोजन के कारण कोरोना वायरस होता है. डब्ल्यूएचओ ने उन आशंकाओं की पुष्टि नहीं की है कि कोविड-19 संक्रमण चिकन, मटन और सी फूड खाने से फैल सकता है.

3- कोविड-19 वैक्सीन को पेनिस में इंजेक्ट किया जाना है?

फेक जानकारी- कोविड-19 वैक्सीन को पेनिस में इंजेक्ट किया जाना है. सीएनएन न्यूज का हवाला देते हुए यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस वैक्सीन को लिंग में लगाया जाएगा, क्योंकि डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया है.

सच्चाई- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया है, जिसमें उन्होंने यह प्रकाशित किया हो कि कोरोना वायरस टीके को लिंग में इंजेक्ट किया जाएगा. इसी तरह सीएनएन ने भी इस तरह के शीर्षक के साथ किसी भी लेख को प्रकाशित नहीं किया था.

4- केला कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में सक्षम है?

फेक जानकारी- एक वीडियो में दावा किया गया था कि ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता केले पर शोध कर रहे हैं, जो कोविड-19 संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं.

सच्चाई- AFP रिपोर्ट बताती है कि वीडियो को ऑस्ट्रेलियाई टेलीविजन चैनल ABC द्वारा केले के संदर्भ में एक समाचार रिपोर्ट से सूचित किया गया है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में उल्लेख किए गए वैज्ञानिक ने समाचार एजेंसी को बताया कि दावा असत्य है. यह भी पढ़ें: Fact Check: कोरोना के कहर को देखकर मोदी सरकार करने वाली है देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान? जानिए न्यूज रिपोर्ट का सच

5- कोरोना वायरस मेडिसिन एंड ट्रीटमेंट का उल्लेख कक्षा 12वीं के जंतू विज्ञान पुस्तक में किया गया है?

फेक जानकारी- एक संदेश में कहा गया था कि 12वीं कक्षा की जंतू विज्ञान पुस्तक में कोविड-19 की दवा मिली है. संदेश में आगे कहा गया कि कोविड-19 से लड़ने की दवा का उल्लेख डॉ. रमेश गुप्ता द्वारा लिखित जंतू विज्ञान नामक पुस्तक के पेज नंबर 1072 पर किया गया है.

सच्चाई- यह दावा फेक निकला. लेटेस्टली के फैक्ट चेक में पाया गया था कि वायरल मैसेज फेक था, क्योंकि कोई भी वैक्सीन या दवा कोरोना वायरस के इलाज के लिए पिछले साल तक नहीं मिली थी.

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