डेनिश (Danish) शोधकर्ताओं ने पक्षियों की दो नई प्रजातियों की खोज की है जो आपके नियमित पक्षियों की तरह नहीं हैं, जिन्हें आप खिलाते हैं और कई बार पालतू बनाते हैं. आनुवंशिक विकास के लिए ये दो प्रजातियां खतरनाक और घातक हैं क्योंकि वे अपने पंखों में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन छिपाते हैं. न्यू गिनी के जंगल में पाए जाने वाले इन पक्षियों ने जहरीले भोजन का सेवन करने और उसे अपने जहर में बदलने की क्षमता विकसित कर ली है. शोधकर्ताओं ने पाया कि वे न केवल इन शक्तिशाली तंत्रिका एजेंटों को सहन करते हैं बल्कि उन्हें अपने पंखों में जमा भी करते हैं, जिससे वे एक से अधिक तरीकों से अद्वितीय बन जाते हैं. यह भी पढ़ें: Bird Rips Snake’s Eyes Out: बर्ड से बचकर निकलने की कोशिश कर रहा था सांप, पक्षी ने निकाली आंख
डेनमार्क के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के नूड जेनसन ने एक बयान में कहा, "हम अपनी सबसे हालिया यात्रा में जहरीले पक्षियों की दो नई प्रजातियों की पहचान करने में कामयाब रहे. इन पक्षियों में एक न्यूरोटॉक्सिन होता है, जिसे वे दोनों सहन कर सकते हैं और अपने पंखों में जमा कर सकते हैं."
देखें पोस्ट:
Science break.
The discovery of two new poisonous bird species in New Guinea. carry the same toxin as poison dart frogs in their skin and feathers. The toxin is
batrachotoxin. The two new toxic bird species are the regent whistler (L) and the rufous-naped bellbird (R). pic.twitter.com/SwBipCqLY0
— Firecaptain and Jack (@Firecaptain16) April 10, 2023
पक्षी प्रजाति रीजेंट व्हिस्लर (Regent Whistler), पचीसेफला श्लेगेली (Pachycephala schlegelii) से हैं, एक प्रजाति जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक वितरण वाले परिवार से संबंधित है, और रूफस-नेप्ड बेलबर्ड (Rufous-Naped Bellbird) एलेड्रियास रूफिनुचा (Aleadryas Rufinucha),
इन पक्षियों में दक्षिण और मध्य अमेरिका में पाए जाने वाले डार्ट फ्रॉग जैसा ही जहर होता है, जो जरा सा छूने पर भी इंसान की जान ले सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इन बर्डो में विष की खोज दुनिया भर में जहर के व्यापक वितरण का संकेत देती है.
पक्षियों में बैट्राकोटॉक्सिन होता है, एक अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन, जो उच्च सांद्रता में होता है, जैसे कि गोल्डन ज़हर मेंढक की त्वचा में पाया जाता है, संपर्क में आने के तुरंत बाद मांसपेशियों में ऐंठन और कार्डियक अरेस्ट होता है.
"पक्षी का विष उसी प्रकार का होता है जैसा कि मेंढकों में पाया जाता है, जो एक न्यूरोटॉक्सिन है, जो कंकाल की मांसपेशियों के ऊतकों में सोडियम चैनलों को खुले रहने के लिए मजबूर करता है, जिससे हिंसक ऐंठन और अंततः मृत्यु हो सकती है," शोधकर्ता कसुन बोडावट्टा ने समझाया.
शोधकर्ताओं की टीम ने यह समझने की कोशिश की कि ये पक्षी घातक न्यूरोटॉक्सिन को कैसे सहन कर पाते हैं. उन्होंने पाया कि पक्षी उस क्षेत्र में उत्परिवर्तन से गुजरे हैं जो सोडियम चैनलों को नियंत्रित करता है, जो उन्हें विष को सहन करने की क्षमता देता है, लेकिन डार्ट मेंढकों के समान स्थानों में नहीं.
विश्लेषण से पता चला कि जबकि उनका न्यूरोटॉक्सिन दक्षिण अमेरिकी जहर डार्ट मेंढक के समान है, पक्षियों ने अपने प्रतिरोध और इसे मेंढकों से स्वतंत्र रूप से शरीर में ले जाने की क्षमता विकसित की.