किन्नरों का आशीर्वाद और बद्दुआ दोनों लगती हैं, जानिए इसके पीछे क्या है कारण

किन्नरों की जिंदगी के बारे में जानने के लिए हेमशा लोगों में जिज्ञासा बनी रहती है. किसी भी शुभ काम में जब तक किन्नरों कों नहीं बुलाया जाता तब तक वो काम सफल नहीं होता है. लोगों के घरों और ट्रेनों में घुमकर पैसे मांगने वाले किन्नरों को लोग बहुत ही ध्यान से देखते हैं और न चाहते हुए भी उनकी जिन्दगी और रहन को लेकर सोच में पड़ ही जाते हैं....

किन्नर, (फोटो क्रेडिट्स: फेसबुक)

किन्नरों की जिंदगी के बारे में जानने के लिए हेमशा लोगों में जिज्ञासा बनी रहती है. किसी भी शुभ काम में जब तक किन्नरों कों नहीं बुलाया जाता तब तक वो काम सफल नहीं होता है. लोगों के घरों और ट्रेनों में घुमकर पैसे मांगने वाले किन्नरों को लोग बहुत ही ध्यान से देखते हैं और न चाहते हुए भी उनकी जिन्दगी और रहन को लेकर सोच में पड़ ही जाते हैं. लोग उन्हें ऐसे देखते हैं जैसे किसी अजूबे को देख लिया हो. किन्नरों का अस्तित्व पौराणिक काल से है. इन्हें शक्ति मिली है कि ये जिस भी शुभ काम में जाएंगे वो कभी विफल नहीं होगा और अगर इन्होने किसी भी इंसान को बद्दुआ दे दी तो वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.

लोग इनकी बद्दुओं से बहुत डरते है इसलिए अपने दरवाजे पर आए किन्नरों को खाली हाथ जाने नहीं देते हैं. किन्नरों का भूलकर भी अपमान नहीं करना चाहिए, अगर ऐसा किया तो उस व्यक्ति का विनाश निश्चित है. पौराणिक कथा अनुसार जब प्रभु श्री राम बनवास के लिए अयोध्या छोड़कर जाने लगे तब पूरे अयोध्या वासी उनके पीछे-पीछे आने लगे, इनमें किन्नर भी शामिल थे. राम ने सभी को वापस जाने को कहा, सब चले गए लेकिन किन्नर नहीं गए. भगवान राम के कई बार कहने पर भी वो नहीं गए. उनकी भक्ति से खुश होकर उन्होंने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा. तब से बच्चे के जन्म और विवाह, नए बिजनेस की शुरुआत आदि मांगलिक कार्यों में उन्हें बुलाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है.

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कहा जाता है कि अगर बुधवार के दिन किसी किन्नर को कुछ रुपए दें और बदले में उसके पास से एक सिक्का लेकर उसे अपने पर्स में रख लेना चाहिए.  ध्यान रखें, ये सिक्का आपके दिए पैसों में से नहीं होना चाहिए. जब तक वो सिक्का पर्स में रहेगा, तब तक धन की कभी कोई कमी नहीं आएगी और पैसा दिन- रात चौगुना बढ़ने लगेगा.

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भारतीय समाज में किन्नरों को मुख्यधारा से अलग मान कर जहां एक तरफ उन्हें सम्मान दिया जाता है. वहीं दूसरी तरफ उन्हें विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों तथा बंधनों में बांधकर समाज से अलग भी रखा जाता है. वास्तव में भारतीय समाज विशेषकर सनातन धर्म में किन्नरों को अत्यधिक सम्मान दिया गया है.
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