International Day of Forests 2024: क्यों जरूरी है विश्व वन दिवस मनाना? जानें इसका इतिहास, रोचक तथ्य एवं भारत में वनों की स्थिति!

जंगल हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ प्रदान करते हैं. जंगल के घने वृक्ष जल को शुद्ध करते हैं, वायु को प्रदूषण मुक्त करते हैं, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड संकलित करते हैं, भोजन और जीवन रक्षक दवाएं मुहैया करवाते हैं. सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जंगल हम मनुष्यों को भारी तादाद में रोजगार और व्यवसाय भी प्रदान करते हैं.

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जंगल हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ प्रदान करते हैं. जंगल के घने वृक्ष जल को शुद्ध करते हैं, वायु को प्रदूषण मुक्त करते हैं, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड संकलित करते हैं, भोजन और जीवन रक्षक दवाएं मुहैया करवाते हैं. सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जंगल हम मनुष्यों को भारी तादाद में रोजगार और व्यवसाय भी प्रदान करते हैं. संक्षिप्त शब्दों में कहें तो हम इन्हें कुछ नहीं देते, मगर वे बहुत कुछ प्रदान करते हैं. ऐसे में जंगल की सुरक्षा और संरक्षा हमारा परम कर्तव्य बनता है. अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं इसके इतिहास, महत्व एवं इससे जुड़े रोचक फैक्ट के बारे में...

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का इतिहास

साल 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23वीं महासभा में विश्व वानिकी दिवस की स्थापना की गई थी. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने हर वर्ष 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाने का निर्णय लिया. बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो अंतर्राष्ट्रीय स्मरणोत्सवों यानी विश्व वानिकी दिवस और अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस को एक कर 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाने का निर्णय लिया. गौरतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति को वनों, वृक्षों और पौधों के मूल्यों को समझना आवश्यक है, क्योंकि वे कच्चा माल, स्थानीय रोजगार प्रदान करके आय का स्त्रोत प्रदान करते हैं. यह भी पढ़े :Rangbhari Ekadashi 2024:कब और किस मुहूर्त में करें रंगभरी एकादशी की पूजा? ये आसान उपाय दूर करेंगी आपकी सारी समस्याएं!

भारत में वनों की हालिया स्थिति

इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार साल 2019 में देश में वन और वृक्षों के आवरण क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की प्रशंसनीय वृद्धि पाई गई. इस समय तक भारत का कुल वन और वृक्षावरण क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर था, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत था. रिपोर्ट के अनुसार 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों 33 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वनों से आच्छादित हैं. देश के सबसे बड़े वन आच्छादित प्रदेश का श्रेय मध्य प्रदेश को जाता है, इसके पश्चात अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र का स्थान है, लेकिन जहां तक अपने कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन की स्थिति है तो इसमें देश के चोटी के 5 राज्य मिजोरम (84.53 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश, 79.33 प्रतिशत, मेघालय 76 प्रतिशत, मणिपुर 74.34 प्रतिशत एवं नागालैंड 73.90 प्रतिशत) है.

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के कुछ रोचक फैक्ट

* अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (IDF) की घोषणा 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी.

* वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) सरकारों और वनों पर सहयोगात्मक साझेदारी के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाते हैं.

* पृथ्वी के लगभग 80 प्रतिशत वृक्षों की प्रजातियां जंगलों में पाई जाती हैं. लगभग 1 अरब 60 करोड़ लोग जीविका, कपड़े, हीटिंग, परिवहन और चिकित्सा सहित मूलभूत जरूरतों के लिए पेड़ों पर निर्भर हैं.

* घने वृक्षों से आच्छादित हमारे जंगल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जो अतिरिक्त CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) को सोखते हैं और संग्रहित करते हैं.

* प्राकृतिक जलसेतु के रूप में हमारे जंगल मानव के अस्तित्व के लिए आवश्यक है, क्योंकि वर्षा का लगभग 95 प्रतिशत भाग जंगलों पेड़-पौधों द्वारा पुनर्चक्रित (Recycled) किया जाता है.

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