सनातन धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को सुख एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना गया है. और चूंकि यह प्रदोष सोमवार के दिन पड़ रहा है, और ये दोनों ही दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना का दिन माना जाता है, इसलिए सोम प्रदोष की महात्म्य बढ़ जाता है. इस बार माघ मास शुक्लपक्ष का प्रदोष व्रत 14 फरवरी, सोमवार, 2022 को पड़ रहा है. सोम प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है, और भगवान शिव की उपासना से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष सोम प्रदोष 3 शुभ योग के अद्भुत संयोग से बन रहा है. आइये जानें इस योग एवं सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा का नियम क्या है.
प्रदोष व्रत का महात्म्य!
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की विधिपूर्व पूजा-अनुष्ठान करने से भक्त के सारे पाप कट जाते हैं, और देहावसान के पश्चात उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सोम प्रदोष का व्रत करने वाले को पांच गऊदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने शौनकादि ऋषि के सामने प्रदोष व्रत के महात्म्य का वर्णन करते हुए बताया था कि कलियुग में जब चारों ओर पाप और अधर्म का बोलबाला होगा, लोग धर्म का रास्ता छोड़कर अन्याय के रास्ते चलेंगे, उस समय लोग प्रदोष व्रत के माध्यम भगवान शिव की आराधना करके अपने पापों का प्रायश्चित करेंगे.
क्या हैं ये अद्भुत योग!
इस माघी प्रदोष के दिन सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग और आयुष्मान योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस त्रयोदशी तिथि में सर्वार्थसिद्धि योग दिन 11.53 बजे शुरु होकर अगले दिन यानी चतुर्दशी के दिन प्रातः 07.00 बजे तक रहेगी. इसी तिथि में रवि योग भी 11.53 बजे शुरू होगा, और सर्वार्थसिद्धि योग तक रहेगा, तथा आयुष्मान योग भी इसी दिन रात्रि 09.29 बजे तक रहेगा और इसके बाद सौभाग्य योग शुरू हो जाएगा. यह भी पढ़ें : Jaya Ekadashi 2022 Wishes: हैप्पी जया एकादशी! शेयर करें श्रीहरि के ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images और Wallpapers
सोम प्रदोष पर व्रत एवं पूजा के नियम!
हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेखित है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरु कर सूर्यास्त के 45 मिनट के भीतर सम्पन्न करने का नियम है. इसे निशिता काल कहते हैं. सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर भगवान शिव एवं माँ पार्वती का ध्यान कर प्रदोष व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके पश्चात तांबे के लोटे से शिवलिंग पर पहले शहद इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करते हुए भगवान शिव के निम्न मंत्र का 108 जाप करना चाहिए.
' ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः'
पूजा की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भगवान शिव एवं मां पार्वती का ध्यान करना चाहिए, तभी भोलेनाथ की कृपा आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन भगवान शिव के साथ चंद्रमा की भी पूजा करते हैं. इसका लाभ उन्हें होता है, जो चंद्र दोष से पीड़ित होते हैं.
सोम प्रदोष पूजा 14 फरवरी, 2022 (सोमवार) का शुभ मुहूर्त!
प्रदोष प्रारंभः 09.15 PM (13 फरवरी 2022)
प्रदोष समाप्तः 09.28 PM (14 फरवरी 2022)
ब्रह्म मुहूर्तः 05.27 AM बजे से 06:15 AM बजे तक (14 फरवरी 2022)
पारण का समय: 5.10 AM से 8.21 AM तक 15 फरवरी