Saphala Ekadashi 2021: आज है सफला एकादशी, जानें एकादशी व्रत का महात्म्य? पूजा विधि एवं व्रत कथा?
सनातन परंपरा में भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाले सफला एकादशी का बड़ा महात्म्य है. सभी प्रकार के पाप, दु:ख और दरिद्रता को दूर करने वाला सफला एकादशी का व्रत कब है? तथा इसकी पूजा विधि एवं व्रत कथा क्या है आइये जानें...
सनातन परंपरा में भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाले सफला एकादशी का बड़ा महात्म्य है. सभी प्रकार के पाप, दु:ख और दरिद्रता को दूर करने वाला सफला एकादशी का व्रत कब है? तथा इसकी पूजा विधि एवं व्रत कथा क्या है आइये जानें...
पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन जग के पालनकर्ता श्री विष्णुजी का व्रत एवं पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस सफला एकादशी के व्रत के बड़े कड़े नियम हैं. इसलिए व्रती को बड़े संयम एवं नियमबद्ध तरीके से यह व्रत एवं पूजा करनी चाहिए. धर्म शास्त्रों में उल्लेखित है कि एकादशी की कथा सुनने से भी अक्षुण्य फल की प्राप्ति होती है. इसलिए आरती से पूर्व सफला एकादशी की व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 दिसंबर 2021 को साल की आखिरी एकादशी मनाई जायेगी. पद्म पुराण के उत्तरखण्ड में सफला एकादशी के व्रत का विस्तार से वर्णन है. सफला एकादशी का व्रत रखने वाले के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. जो व्यक्ति भक्ति-भाव से सफला एकादशी का व्रत करता है, वह निश्चय ही श्रीहरि की कृपा का पात्र बन जाता है. इस एकादशी का माहात्म्य सुनने मात्र से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है.
सफला एकादशी की पूजा विधान
एकादशी व्रत रखनेवालों को दशमी से ही घर में लहसुन, प्याज एवं किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन ना बनाना चाहिए और ना खाना चाहिए. अगले दिन यानी एकादशी को प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. तत्पश्चात स्वच्छ एवं पीला वस्त्र पहनकर विष्णुजी ध्यान कर व्रत का संकल्प लें. इच्छित मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्रीहरि से प्रार्थना करें. इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. अब विष्णु जी को पीतांबर पहनाएं. अब विष्णु जी का आह्वान करने के लिए ‘ऊँ ब्रह्म बृहस्पताय नमः’ का जाप करें. इसके बाद उन्हें रोली एवं अक्षत का तिलक लगायें. पीला फूल, पीले फल, पीली मिठाई, पीला चंदन, तुलसी दल अर्पित करें. अंत में विष्णु जी की आरती उतारकर प्रसाद लोगों में वितरित करें. एकादशी के दिन विष्णु जी का दो बार पूजन करना चाहिए. संध्याकाल में पूजा एवं आरती उतारने के पश्चात फलाहार करें. यह भी पढ़ें : New Year 2022 Wishes: न्यू ईयर के इन शानदार Messages, GIF Images, HD Wallpapers और Greetings के जरिए करें नए साल का स्वागत
सफला एकादशी व्रत तिथि व पारण मुहूर्त
एकादशी तिथि 29 दिसंबर 2021 को 04.12 PM से प्रारंभ होकर 30 दिसंबर 2021 को 01.40 PM पर समाप्त होगी.
व्रत का पारण 31 दिसंबर 2021 को सुबह 07.14 AM से 09.18 AM तक रहेगा.
सफला एकादशी की व्रत कथा
प्राचीनकाल में चंपावती में महिष्मान नामक प्रतापी राजा राज्य करते थे. उनका पुत्र लुंपक बहुत निर्दयी था. वह प्रजा पर आये दिन अत्याचार करता रहता था. उसकी प्रताड़ना से प्रजा में त्राहिमाम् मच गया. राजा ने पुत्र की कारिस्तानी सुनी तो उसे राज्य से बाहर निकाल दिया. पेट भरने के लिए राजा के पुत्र ने चोरी करने की कोशिश में नगर के एक घर में घुस गया. लेकिन चोरी करने से पूर्व ही लुंपक पकड़ लिया गया. नगरवासियों ने उसे पहचान लिया, और उसके माफी मांगने पर उसे छोड़ दिया. इसके बाद लुंपक जैसे तैसे जीवन गुजारने लगा. एक दिन कृष्णपक्ष की दशमी के दिन अत्यधिक सर्दी के कारण भूख-प्यास से लुंबक बेहोश हो गया. अगले दिन यानी एकादशी को वह पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु को याद करने लगा. उस पूरे दिन उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला. सूर्यास्त के पश्चात लुंपक पेड़ के नीचे फल पड़ा मिला. उसने फल उठाकर ईश्वर को याद कर उसने ग्रहण कर लिया. इस तरह संयोगवश उसने सफला एकादशी का व्रत कर लिया. इस व्रत के पुण्य से वह जल्दी स्वस्थ हो गया. अब उसने राक्षसी कृत्य त्याग दिया.