जानिए क्यों इस्लाम धर्म में हरे रंग को क्‍यों माना जाता है इतना पवित्र

इस्लाम धर्म में हरे रंग को बहुत ही पवित्र रंग माना जाता है. इस रंग के बारे में कहा जाता है कि इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले मोहम्मद पैगम्बर हमेशा ही हरे रंग का कपड़ा पहनते थे.

माहिम दरगाह (Photo Credits Facebook)

नई दिल्ली: देश में हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्म के लोग रहते हैं. हर धर्म में रंगों को लेकर अलग-अलग मान्यताएं होती है. जैसे हिंदू या सनातन धर्म में केसरिया रंग का बहुत महत्व है. इस रंग के बारे में मान्यता है कि केसरिया रंग मन की आत्मा को शांति को देता है. इसीलिए साधु- संत घर को त्यागने के बाद शांति के लिए देखा जाता है कि वे केसरिया चोला पहनते हैं. केसरिया रंग के बारे में बौध्द और सीख धर्म में भी पवित्र माना जाता हैं.

इस रंग को गुरुगोबिंद सिंह के पवित्र निशान साहिब को केसरिया रंग में लपेट कर रखा गया है. इसलिए इनका झंडा और पग सभी केसरिया रंग का होता है. वही बौध्द धर्म में इस रंग के बारे में मान्यता है कि इस रंग को आत्मत्याग का प्रतीक माना गया है. इसलिए इस धर्म में केसरिया रंग का कसाय पहनते हैं.

इस्लाम धर्म में हरा रंग क्यों है पवित्र 

इस्लाम धर्म में हरे रंग को बहुत ही पवित्र रंग माना जाता है. इस रंग के बारे में कहा जाता है कि इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले मोहम्मद पैगम्बर साहब हमेशा ही हरे रंग का कपड़ा पहनते थे. उनकी मान्यता थी कि हरा रंग पहनने से से घर में खुशहाली और शांति आती हैं. इसलिए मुस्लिम धर्म में हरा रंग बहुत ही पाक (पवित्र ) माना जाता है.

इस्लाम धर्म में हरे रंग का इस्तेमाल मजार हो या फिर मस्जिद सभी जगहों पर किया जाता है. यही वजह है मजारों पर या फिर कुरान शरीफ को रखने वाला कपड़ा आदि चीजों पर हरे रंग का कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है. यही कारण है कि आज भी हरे रंग को इस्लाम धर्म में एक अलग स्थान दिया जाता है.

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