Navratri 2019: देवी चंडी के इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है भालू का पूरा परिवार, आरती के बाद प्रसाद लेकर लौट जाते हैं वापस
छत्तीसगढ़ स्थित महासमुंद जिले के घूंचापाली गांव में स्थित चंडी मंदिर करीब 150 साल पुराना है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सिर्फ इंसान ही पूजा करने के लिए नहीं आते हैं, बल्कि माता के भक्तों में भालू का पूरा परिवार भी शामिल है. रोजाना शाम के समय भालुओं का परिवार देवी चंडी की आरती में शामिल होने के लिए आता है और प्रसाद लेकर ये भालू वापस जंगल लौट जाते हैं.
Navratri 2019: इन दिनों देशभर में नवरात्रि (Navratri) की धूम है. तमाम भक्त देवी दुर्गा (Maa Durga) के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिशों में लगे हुए हैं. नवरात्रि के दौरान देश के विभिन्न देवी मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. माता भी अपने दरबार में आनेवाले भक्तों का दिल खोलकर स्वागत करती हैं. वैसे देवी मां के कई मंदिर अपने चमत्कारों और आध्यात्मिक शक्तियों के कारण देश भर में प्रसिद्ध हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद जिले (Maha Samund) में स्थित चंडी देवी का मंदिर (Chandi Devi Temple) अपने दरबार में आनेवाले खास भक्तों को लेकर काफी मशहूर है. दरअसल, चंडी देवी (Chandi Mata) का यह मंदिर भालुओं (Bears) के लिए प्रसिद्ध है.
महासमुंद जिले के घूंचापाली गांव में स्थित चंडी मंदिर का इतिहास करीब 150 साल पुराना है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सिर्फ इंसान ही पूजा करने के लिए नहीं आते हैं, बल्कि माता के भक्तों में भालू का पूरा परिवार भी शामिल है. इस मंदिर में हर रोज शाम के समय आरती में शामिल होने के लिए भालू का पूरा परिवार (Bears Family) पहुंचता है.
देवी के दर्शन के लिए आते हैं भालू
देवी के ये अनोखे भक्त पिछले कई सालों में शाम ढलते ही मंदिर में परिसर में आने लगते हैं और संध्या आरती में शामिल होते हैं. जब देवी मां के दर्शन के लिए भालुओं का परिवार मंदिर पहुंचता है तो एक भालू मंदिर के बाहर खड़ा रहता है और बाकी के भालू आरती में शामिल होकर मंदिर की परिक्रमा करते हैं. आरती के बाद ये भालू प्रसाद लेकर बिना किसी को नुकसान पहुंचाएं वापस जंगल की तरफ लौट जाते हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन, माता के दरबार में होगी हर मुराद पूरी
इंसानों से करते हैं दोस्ताना व्यवहार
यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो मंदिर में देवी के दर्शन के लिए भालुओं का पूरा परिवार सालों से आ रहा है. ये भालू यहां आनेवाले किसी भी श्रद्धालु को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और उनसे दोस्ताना व्यवहार करते हैं. इस मंदिर में रोजाना इंसानों और भालुओं का आमना-सामना होता है, लेकिन ये भालू कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. ये भालू शाम को मंदिर आते हैं, आरती में शामिल होते हैं और प्रसाद लेकर वहां से चुपचाप लौट जाते हैं.
बताया जाता है कि चंडी देवी का यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर हुआ करता था और तंत्र साधना करने वालों ने पहले इस स्थान को गुप्त रखा था. हालांकि साल 1950-51 में इस मंदिर को आम जनता के लिए खोल दिया गया. मान्यता है कि इस मंदिर में आनेवाले भक्तों की हर मुराद देवी मां पूरी करती हैं और नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.