Radha Ashtami 2024: राधा-कृष्ण ने विवाह क्यों नहीं किया? जानें क्या है इस प्रेम का रहस्य?

हिंदू धर्म शास्त्रों में राधा-कृष्ण के प्रेम को लेकर तमाम कहानी-कथाएं प्रचलित हैं. राधा-कृष्ण प्रेम का आशय भारतीय भक्ति परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो विशेष रूप से वैष्णव धर्म में गहराई से समाया हुआ है. इनकी प्रेम कहानी को भक्ति, श्रद्धा, और दिव्य प्रेम का आदर्श उदाहरण माना जाता है.

राधा अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्म शास्त्रों में राधा-कृष्ण के प्रेम को लेकर तमाम कहानी-कथाएं प्रचलित हैं. राधा-कृष्ण प्रेम का आशय भारतीय भक्ति परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो विशेष रूप से वैष्णव धर्म में गहराई से समाया हुआ है. इनकी प्रेम कहानी को भक्ति, श्रद्धा, और दिव्य प्रेम का आदर्श उदाहरण माना जाता है. राधा-कृष्ण का प्रेम निस्वार्थ, और असीमित माना गया है. उनके प्रेम को समर्पण, भक्ति एवं पवित्रता से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन अधिकांश लोगों के मन में संशय रहता है कि राधा और कृष्ण ने एक दूसरे से विवाह क्यों नहीं किया? क्योंकि सोलह संस्कारों में विवाह की परंपरा सर्वोपरि बताया गया है. ‘प्रेम’ की पूर्णता भी विवाह में ही निहित है, तो क्या राधा-कृष्ण का प्रेम अधूरा था? राधा अष्टमी (11 सितंबर 2024) अवसर पर आइये जानते हैं कृष्ण और राधा ने विवाह क्यों नहीं किया? या कुछ कथाओं के अनुसार मान लें कि उनका ब्रह्म-विवाह हुआ था. यह भी पढ़ें : Lunar Eclipse 2024: इस माह कब लग रहा है चंद्र ग्रहण? जानें भारत में चंद्र ग्रहण का असर और इसके वैज्ञानिक तथ्यों पर कुछ रोचक बातें!

क्यों नहीं किया राधा-कृष्ण ने विवाह?

राधा कृष्ण का प्यार सामान्य भौतिक अर्थों में नहीं था, राधा को पहले से पता था कि कृष्ण सामान्य मानव नहीं थे, इसलिए उनके लिए उनका प्यार दिव्य था, और कृष्ण के मन में भी राधा के प्रति कुछ ऐसी ही भावनाएं थीं. राधा-कृष्ण का प्रेम दैहिक नहीं, आध्यात्मिक था. उनका ‘प्रेम’ सांसारिक नहीं था, और विवाह-संस्कार से परे थे, उनका प्रेम निस्वार्थ था, राधा-कृष्ण दोनों की ही सोच में प्यार और शादी दो अलग तत्व रहे हैं, यह दर्शाने के लिए कि प्यार शारीरिक होने की तुलना में विशुद्ध एवं निस्वार्थ भावना है. दोनों ने एक-दूसरे से विवाह न करके प्रेम की सर्वोच्च भक्ति को व्यक्त किया है. राधा-कृष्ण दो व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आत्मा थे. वे एक-दूसरे में समाहित थे, इसलिए वे विवाह जैसे सांसारिक बंधनों (शादी) से बंधे नहीं थे. वे स्वयं भी एक दूसरे को महज पवित्र आत्मा मानते थे. वे भला शादी क्यों करते?

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