Nag Panchami 2021: आज नाग पंचमी है, जानें किन-किन महासंयोगों में होगी इस वर्ष पूजा-अर्चना? जानें इस पर्व की विविधरंगी परंपराएं!
सनानत धर्म में नाग पंचमी हिंदुओं के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्वों में एक माना जाता है. यह पर्व श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी के दिन पूरे भारत में मनाया जाता है. हिंदू देवी-देवताओं में नाग का विशेष महत्व बताया गया है. एक ओर इसे भगवान विष्णु का शैय्या कहा जाता है तो वहीं भगवान शिव का यह प्रिय हार, जिसे वे हमेशा अपने गर्दन में पहनते हैं.
सनानत धर्म में नाग पंचमी हिंदुओं के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्वों में एक माना जाता है. यह पर्व श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी के दिन पूरे भारत में मनाया जाता है. हिंदू देवी-देवताओं में नाग का विशेष महत्व बताया गया है. एक ओर इसे भगवान विष्णु का शैय्या कहा जाता है तो वहीं भगवान शिव का यह प्रिय हार, जिसे वे हमेशा अपने गर्दन में पहनते हैं. एक मान्यता यह भी है कि शेषनाग पर ही पृथ्वी टिकी हुई है. नाग पंचमी के दिन सर्पों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. ऐसा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
गरुढ़ पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के योग-निद्रा में जाने के बाद सृष्टि के पालन की जिम्मेदारी भगवान शिव उठाते हैं. इसकी शुरुआत श्रावण मास से होती है, चूंकि श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित माना जाता है और नागपंचमी भी श्रावण मास में ही पड़ता है, इसलिए हिंदू धर्म में इस पर्व का महत्व बढ़ जाता है. लेकिन इस वर्ष जब 13 अगस्त 2021 के दिन हम यह पर्व मनायेंगे, तब कुछ दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में नागराज की पूजा करने से जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
नाग पंचमी पर पूजा-अनुष्ठान
विभिन्न रीति-रिवाज, भाषाओ एवं परंपराओं वाले भारत में पर्वों को मनाने के तौर-तरीकों में भी भिन्नता देखी जाती है. इस दिन उत्तर भारत में लोग सुबह स्नान-ध्यान कर मिट्टी से निर्मित नाग-नागिनों की पूजा करते हैं. उन्हें दूध, हल्दी, घास, कुमकुम, अक्षत, चंदन एवं फूल अर्पित करते हैं. वहीं दक्षिण भारत में 12 नागों अनन्त, वासुकि, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शङ्खपाल, शेष, पद्म, पिङ्गल नाग, कम्बल, कालिया, और तक्षक का स्मरण करते हुए नाग-नागिन की मूर्ति को खीर, चावल एवं सेवइयों का भोग लगाते हैं. नाग वासुकी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करते हैं.
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता:॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नम:॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियां तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषत:।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
महाराष्ट्र में सुहागन महिलाएं 'नौवारी' (नौ गज) साड़ी पहनकर पारंपरिक तरीके से नाग देव को नारियल की मिठाई और काले तिल के लड्डू का भोग लगाती हैं. मध्य भारत में नाग पंचमी पर एक दिन पूर्व बना बासी भोजन करने की परंपरा हैं. इस दिन खेत की जुताई-खुदाई प्रतिबंधित होता है, क्योंकि इससे सांप घायल हो सकते हैं. यह भी पढ़ें: Nag Panchami 2021 Messages: हैप्पी नाग पंचमी! दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings और GIF Images
किन विशेष संयोग और महायोग में मनाई जायेगी नाग पंचमी?
इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जायेगी. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नागपंचमी उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र के विशेष योग में मनाई जायेगी. इसके साथ ही काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी शिन नक्षत्र भी लग रहा है. हमारे ज्योतिषि के अनुसार इस नक्षत्र में काल सर्प दोष मुक्ति की पूजा सबसे प्रभावी होता है. कहते हैं कि नाग पंचमी पर ऐसा संयोग 108 साल पहले बना था. इसके अलावा इस दिन एक और महासंयोग बन रहे हैं. उत्तरा और हस्त नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है. इसलिए काल सर्प दोष से मुक्ति पानेवाले जातक इस नागपंचमी में किसी विद्वान पंडित से अनुष्ठान करवाना श्रेयस्कर होगा.