Janmashtami 2022: आज है कृष्ण जन्मोत्सव! ऐसे करें अपने कान्हा का श्रृंगार! होंगे प्रसन्न, पूरी करेंगे मनोकामना

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं. चूंकि भगवान श्रीकृष्ण अपनी बाल सुलभ लीलाओं से अपने भक्तों को खूब आनंदित करते हैं, इसलिए उनका जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

कृष्ण जन्माष्टमी 2022 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं. चूंकि भगवान श्रीकृष्ण अपनी बाल सुलभ लीलाओं से अपने भक्तों को खूब आनंदित करते हैं, इसलिए उनका जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कुछ लोग अपने घरों में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की अद्भुत झांकी भी सजाते हैं. उनके लिए खूबसूरत झूला बनाते हैं. जन्म से पूर्व कान्हा की प्रतिमूर्ति का भव्य श्रृंगार किया जाता है. मान्यता है कि कान्हा के पसंदीदा परिधानों एवं वस्तुओं से ही उनका श्रृंगार करना चाहिए. ज्योतिषियों के अनुसार कान्हा का श्रृंगार जितना मोहक और दिव्य होता है, कान्हा उस पर उतना ही प्रसन्न होते हैं और उसके जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि लाते हैं. आज हम आपको बतायेंगे कि कान्हा के श्रृंगार में किन-किन वस्तुओं का विशेष रूप से प्रयोग होता है.

पीतांबर

जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को पीले, हरे अथवा लाल रंग के कपड़े पर जरी-बूटी, जरदोरी एवं मीनाकारी से अलंकृत परिधान जिसे पीतांबर कहते हैं, पहनाते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबर बहुत पसंद है. इससे वे प्रसन्न होते हैं.

बांसुरी

बांसुरी के बिना कान्हा खुद को अधूरा मानते थे, वे बांसुरी बहुत पसंद करते थे. इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव से पूर्व इनका श्रृंगार करते समय उनके हाथों में एक खूबसूरत की बांसुरी जरूर रखनी चाहिए.

मोरपंख युक्त मुकुट

भगवान श्रीकृष्ण की पहचान ही उनके मस्तक पर सुशोभित मयुर पंख है. जन्माष्टमी के दिन कान्हा का श्रृंगार मोर पंख युक्त मुकुट धारण करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से कान्हा प्रसन्न होते हैं, क्योंकि उन्हें मोर पंख बहुत पसंद है. यह भी पढ़ें : Aja Ekadashi 2022: कब है अजा एकादशी व्रत? जानें इस व्रत का महात्म्य, शुभ मुहूर्त, व्रत एवं पूजा के नियम तथा अजा एकादशी व्रत की कथा!

कड़े और बाजूबंद

लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव पर उन्हें चांदी या सोने के कड़े और बाजूबंद पहनाएं. यह इस बात का प्रतीक है कि इसे पहनने से जीवन में समस्याएं दूर होती हैं.

कानों में कुंडल

भगवान कृष्ण का श्रृंगार करते समय उनके कानों में सोने, चांदी अथवा मोतियों से बना कुंडल अवश्य धारण करना चाहिए. चांदी शीतलता का प्रतीक होता है.

पाजेब और कमरबंद पहनाएं

जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल के पैरों में चांदी से बनी पाजेब अथवा पायल पहनाएं. इसके अलावा कमर में चांदी का ही कमरबंद पहनाएं.

पीले फूलों का हार

श्रृंगार करते हुए कान्हा को मोतियों की माला पहनाएं. अगर सुलभ हो तो वैजयंती माला पहनाएं. वैजयंती माला देखने में तो आकर्षक लगता ही है, साथ ही मन को शांति एवं आत्मविश्वास में वृद्धि भी करता है. इसके अलावा कान्हा को पीले या लाल पुष्पों का माला भी पहनाया जा सकता है.

तिलक

कान्हा के ललाट पर चंदन, कुमकुम, रोली एवं गोरोचन का तिलक लगाएं. मान्यता है कि ये चारों पदार्थ जीवन को शीतलता प्रदान करते हैं.

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