वैज्ञानिकों ने आनुवांशिक मोटापे नियंत्रण की जगाई उम्मीद

अगर आप अपनी आनुवांशिक प्रवृत्ति के कारण वजन घटाने में असमर्थ हैं तो हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है.

(Picture credit: Flickr)

लंदन: अगर आप अपनी आनुवांशिक प्रवृत्ति के कारण वजन घटाने में असमर्थ हैं तो हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है. इसके लिए इंजेक्शन वाली दवा व्यापक रूप से रक्त शर्करा को कम करने लिए इस्तेमाल हो रही है, जो आपको मोटापे से लड़ने में मदद कर सकती है. लगभग दो-छह फीसदी लोगों मे मोटापा बचपन की शुरुआत से विकसित होना शुरू हो जाता है, क्योंकि उनमें ऐसा आनुवांशिक रूप से होता है.

मोटापा किसी व्यक्ति के भूख से संबंधित एक जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, और यह मोटापा के विकास के लिए एक मजबूत आनुवांशिक प्रवृत्ति प्रदान करता है. इसे मोनोजेनिक मोटापा भी कहते हैं. ऐसे लोगों को भूख बहुत ज्यादा लगती है और भूख खत्म नहीं होती है.

शोधकर्ताओं ने पाया है कि लोगों के इस समूह में मोटापे को एक दवा-लिराग्लुटाइड की मदद से कम किया जा सकता है.

लिराग्लुटाइड भूख को रोकने वाले हार्मोन जीएलपी-1 का एक परिवर्तित रूप है. यह हार्मोन हमारे खाने के दौरान हमारी इंटेस्टाइन (आंत) से स्रावित होता है.

डेनमार्क में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर सिगने सोरेनसन टोरेकोव ने कहा, "भूख को रोकने वाली दवा लिराग्लुटाइड का इस पर सकारात्मक प्रभाव है. वे कम भूख महसूस करते हैं और चार महीने के भीतर अपने शरीर के वजन का छह फीसदी घटाते हैं."

इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'सेल मेटाबोलिज्म' में किया गया है. इसमें दल ने तथाकथित एमसी4आर जीन और उत्परिवर्तन की वजह से मोटापे वाले व बिना उत्परिवर्तन वाले एक छोटे समूह का परीक्षण किया गया है.

Share Now

\