Coronavirus Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन बनाने की रेस में जाने कौन सा देश है सबसे आगे, आयुर्वेद हैं सफलता से कितना दूर

वैक्सीन के शीर्ष दावेदारों में अमेरिका और चीन की दवा कंपनियां सबसे आगे है. अमेरिका स्थित मॉडर्न थैरेप्यूटिक्स (Moderna Therapeutics) और चीन के सिनोवैक बायोटेक (Sinovac Biotech) ने वैक्सीन बनाने में सफलता मिलने की बात कही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के साथ वैक्सीन (Vaccine) बनाने की दौड़ तेज होती जा रही है. कोरोना वायरस का इलाज खोजने के लिए कुछ देशों ने तो अपनी पूरी ताकत लगा दी है. अब तक कई देशों ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैक्सीन बनाने के बेहद करीब होने का दावा किया है. लेकिन जानकार बताते है कि इस जानलेवा वायरस से निपटने वाली वैक्सीन बाजार में साल के अंत तक आ सकती है.

मिली जानकारी के मुताबिक वैक्सीन के शीर्ष दावेदारों में अमेरिका और चीन की दवा कंपनियां सबसे आगे है. अमेरिका स्थित मॉडर्न थैरेप्यूटिक्स (Moderna Therapeutics) और चीन के सिनोवैक बायोटेक (Sinovac Biotech) ने वैक्सीन बनाने में सफलता मिलने की बात कही है. हालांकि अन्य देशों की दवा कंपनियों ने वैक्सीन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल करने का दावा किया है. भारत कोरोना वायरस के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडेरिटी ट्रायल का हिस्सा है. कोरोना संकट: वैक्सीन आने पर भारत कर सकता है मास प्रोडक्शन

रेमेडिसविर (Remdesivir): ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने गिलियड साइंसेज इंक के एंटीवायरल ड्रग ‘रेमेडिसविर’ को कोरोना संक्रमित मरोजों पर आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. जापान में पहले से ही इस दवा को कोविड-19 के मरीजों को दिया जा रहा है. एक अनुसंधान के बाद पाया गया कि यह दावा मरीज के वायरल लोड को कम कर सकती है.

अविफावीर (Avifavir): रूस की इस दवा का उपयोग जापान सहित कई देशों में 11 जून से लगभग 60,000 रोगियों पर किया गया है. ट्रायल के दौरान इस दावा का मरीज पर कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं मिला. रूसी अधिकारियों के अनुसार यह दवा 10 दिनों में मानव शरीर से कोरोना वायरस को पूरी तरह से समाप्त कर सकती है.

भारत बायोटेक वैक्सीन (Bharat Biotech Vaccine): भारत में कोविड-19 वैक्सीन बनाने के शीर्ष दावेदार इस कंपनी ने दावा किया कि अब तक प्रगति सकारात्मक रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ कंपनी ने भागीदारी भी की हुई है. एक बयान में बताया गया है कि परीक्षण के अगले एक महीने महत्वपूर्ण हैं. जबकि अगले 6 से 12 महीनों के भीतर किसी भी समय वैक्सीन विकसित किए जाने की उम्मीद है.

आयुर्वेद (Ayurveda): भारत में अग्रणी आयुर्वेद उत्पाद कंपनी पतंजलि (Patanjali) ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने और महामारी का मुकाबला करने के लिए दवाओं का विकास कर रही है. बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के नेतृत्व वाली फर्म ने उत्तराखंड के कुछ कोरोनो वायरस रोगियों को भी दवाइयाँ दी है. प्रतिरक्षा की दवा लेने वालों में राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) भी शामिल हैं.

सिनोवैक बायोटेक वैक्सीन (Sinovac Biotech Vaccine): चीनी फर्म ने कोरोना की वैक्सीन बनाने में 99 फीसदी सफलता मिलने का दावा किया है. इसने ट्रायल के दो चरण भी पूरे कर लिए गए हैं. फार्मा कंपनी से जुड़े एक शोधकर्ता ने कहा कि तीसरे चरण में इस वैक्सीन को यूनाइटेड किंगडम में इंसानों पर परखा जाएगा. सब कुछ सही रहा तो वैक्सीन साल 2020 के अंत तक आ जाएगी.

एमआरएनए वैक्सीन (mRNA Vaccine): विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग एमआरएनए पर कोरोना वायरस से निपटने वाली वैक्सीन बनाने का भरोसा जता चुका है. मॉडर्न थैरेप्यूटिक्स (Moderna Therapeutics) द्वारा विकसित किए जाने के बाद टीके की शुरुआत 2021 में होने की उम्मीद है. फिलहाल इसके क्लिनिकल ट्रायल का दूसरा चरण चल रहा है.

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