Coronavirus Health Update: कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए करें मास्क का सही से उपयोग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सक ने दिए यह सुझाव

ऐसा देखा गया है कि तमाम लोग ऐसे हैं जो बाहर निकलते वक्त मास्क लगाये रहते हैं, लेकिन जैसे ही अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, उसे निकाल कर जेब में रख लेते हैं, या फिर ऑफिस पहुंचते ही टेबल पर, कार में बेठते ही डैशबोर्ड पर मास्क रख देते हैं. दरअसल ऐसा करके आप कोरोना वायरस को आमंत्रण दे रहे हैं. समय की मांग है कि हर किसी को मास्क एटिकेट यानी मास्क से जुड़े शिष्‍टाचार भी सीखने होंगे.

मास्क (Photo Credits: Pixabay)

Coronavirus Health Update: ऐसा देखा गया है कि तमाम लोग ऐसे हैं जो बाहर निकलते वक्त मास्क लगाये रहते हैं, लेकिन जैसे ही अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, उसे निकाल कर जेब में रख लेते हैं, या फिर ऑफिस पहुंचते ही टेबल पर, कार में बेठते ही डैशबोर्ड पर मास्क (Mask) रख देते हैं. दरअसल ऐसा करके आप कोरोना वायरस (Coronavirus) को आमंत्रण दे रहे हैं. समय की मांग है कि हर किसी को मास्क एटिकेट यानी मास्क से जुड़े शिष्‍टाचार भी सीखने होंगे. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) , नई दिल्ली के डॉ. प्रसून चटर्जी का कहना है कि आज मास्‍क एटिकेट बहुत जरूरी हैं. इसका मतलब मास्क लगाने का शिष्‍टाचार.

उन्होंने कहा, "मेरी सभी से अपील है मास्क को फैशन (fashion) की चीज मत समझें, कि जब चाहा लगा लिया, जब चाहा उतार दिया. कोई ऑफिस पहुंचते ही मास्क उतार कर टेबल पर रख देता है, कोई पैंट की जेब में, कोई बात करते वक्त मास्क नीचे कर देता है, तो कोई बार-बार हाथ से मास्क ठीक करता रहता है. यह सब गलत एटिकेट हैं. ऐसा मत करें, क्योंकि मास्क की बाहरी सतह पर वायरस हो सकता है. जिस टेबल पर आप रखेंगे वहां वायरस हो सकता है. जेब में रखने पर वायरस जेब में चला जाएगा, फिर जेब में हाथ डालने पर वायरस हाथ पर आ जायेगा. ऐसी तमाम बातें हैं, जिनका ध्‍यान रखना ही मास्‍क एटिकेट है."

हेलमेट के समान है मास्क

कुछ लोग सोचते हैं कि शायद मुझे कोरोना नहीं होगा, उनके लिए डॉ. चटर्जी ने कहा कि कोरोना बीमारी किसी की जाति, धर्म, स्‍टेटस देख कर नहीं आती है. यह किसी को भी हो सकती है, अमीर को भी और गरीब को भी. जरा सी चूक से आप संक्रमित हो सकते हैं, भले ही आप एसिम्‍प्‍टोमेटिक होकर ठीक हो जाए. अगर सावधानी नहीं बरती तो यह बीमारी जरूर लगेगी. लक्षण आयेंगे या नहीं यह तो बाद की बात है, अभी बचाव की सोचिए. ठीक वैसे ही जैसे हेलमेट पहन कर वाहन इसलिए चलाते हैं, क्योंकि पता नहीं होता कब एक्सिडेंट हो जाये. इस वक्त मास्क ही हमारा हेलमेट है.

जब तक देश में एक भी केस है, तब तक हमें निश्चिंत होकर नहीं बैठना है. क्योंकि 1 से 1000 होने में बहुत समय नहीं लगता है. कोरोना के खिलाफ जंग हम सबको मिलकर लड़नी है. हम अभी भी हाई रिस्क पर हैं. दोस्त हों, सहकर्मी हों, रिश्‍तेदार हों, किसी से भी आप मिलते हैं, तो यह बात मन में रखनी है कि उनमें से कोई भी एसिम्‍प्‍टोमेटिक कैरियर हो सकता है. आपकी लाइफस्टाइल ही नेचुरल वैक्सीन है, इसलिए अपनी जीवनचर्या में सभी नियमों का पालन करें.

लंबे समय तक रहेगी महामारी

सभी को सारे नियमों का पालन करना ही होगा. एक मीटर की दूरी बनाकर रखें, मुंह पर मास्क लगाकर रखें. इससे केवल कोरोना ही नहीं बाकी बीमारियां भी फैलने से बचेंगी. अब समय-समय पर हाथ धोते रहेंगे तो डायरिया या पेट संबंधी बीमारियों की संभावना कम होगी, क्योंकि पेट में कीटाणु हाथ से ही पहुंचते हैं. हमें इस दौरान साफ-सफाई का खास ध्‍यान रखना है. अब वैक्सीन के भरोसे मत बैठ जाइये.

उन्होंने आगे कहा कि विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 100 से अधिक कंपनियां व संस्थान वैक्सीन बना रहे हैं. वैक्सीन के बनने में बहुत सारी अनिश्चितता रहती है. अगर 100 कंपनियां वैक्‍सीन बनाना शुरू करती हैं, तो उनमें से मात्र 25 ऐसी होती हैं, जो ह्यूमन ट्रायल तक पहुंचती हैं. उनमें से भी 4 से 6 कंपनियां फाइनल स्टेज तक पहुंचती हैं. भारत में भी प्रयास जारी हैं. कोई नहीं कह सकता कि दो महीने में वैक्सीन आ जाएगी. ये प्रयास पूरी दुनिया में हो रहे हैं. उम्मीद है अगले साल तक वैक्‍सीन आ जाएगी.

वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए सलाह

डा. चटर्जी ने वरिष्‍ठ नागरिकों को सलाह दी है कि उनके लिए इस विपत्ति को अवसर में बदलने का सुनहरा मौका है. अभी तक जो वरिष्‍ठ नागरिक स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्‍यूटर से दूर भागते थे, उनके पास इसे सीखने का मौका है. मोबाइल पर ऐप के माध्‍यम से अपने मित्रों से वीडियो कॉल करें. कंप्‍यूटर सीखना, स्मार्टफोन सीखना आपके लिए नया स्किल हो सकता है. रही बात वॉकिंग की, तो अगर आपके घर में 10 कदम चलने भर की जगह है, और आपने 100 चक्कर लगा लिये तो आप हजार कदम चल लिए.

अगर कोई मेरी साइकिल, बाइक या कार मांगता है तो क्या उसे दे सकता हूं?

इस सवाल के जवाब में डॉ. चटर्जी ने कहा, "अपने जानने वालों को गाड़ी आप दे सकते हैं, लेकिन गाड़ी वापस आने के बाद उसे सेनिटाइज करें. साइकिल या बाइक पर जहां-जहां हाथ लगाया है, उसे अच्‍छी तरह साफ करें. फोर-व्‍हीलर किसी को दी है तो वापस आने पर अंदर से हाईपोक्लोराइड सॉल्‍यूशन से उसे सैनिटाइज करिए. कार की विंडो खोल दें, ताकि वेंटीलेशन हो. हाईपोक्लोराइड सॉल्‍यूशन की स्‍प्रे बॉटल को कार में रखें, क्योंकि कभी भी जरूरत पड़ सकती है. ध्‍यान रहे वाहन को कभी सेनिटाइजर से मत साफ करें."

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