कार्यस्थल पर जंक फूड को कहें ना, इस बिमारियों का करना पड़ सकता है सामना

एक नए अध्ययन में संकेत मिला है कि जो कर्मचारी कार्यस्थल पर अस्वास्थ्यकर भोजन खाते हैं, ऐसे लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है...

कार्यस्थल पर जंक फूड को कहें ना, इस बिमारियों का करना पड़ सकता है सामना
जंक फूड (Photo Credit- Pixabay)

एक नए अध्ययन में संकेत मिला है कि जो कर्मचारी कार्यस्थल पर अस्वास्थ्यकर भोजन खाते हैं, ऐसे लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है. चिकित्सक की सलाह है कि कार्यस्थल पर जंक फूड की जगह फास्ट फूड को तरजीह दें. अस्वास्थ्यकर भोजन के विकल्प भी समय के साथ मोटापे का कारण बन सकते हैं. इस तथ्य पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि जीवनशैली से जुड़ी बिमारियों के चलते कार्यालय में अनुपस्थिति, कम उत्पादकता की शिकायतें झेलनी पड़ सकती हैं.

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (Heart Care Foundation of India) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि जंक फूड खाने से अधिक वसा एकत्र होने की प्रवृत्ति होती है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है. इसका एक प्रमुख कारण लोगों की आज की जीवनशैली है. दौड़ते-भागते और तेज-रफ्तार जीवन के कारण अक्सर लोग सुबह नाश्ता नहीं कर पाते और दिन के बाकी समय अस्वास्थ्यकर और फटाफट वाला भोजन खाते हैं.

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उन्होंने कहा कि काम के दौरान जंक फूड (ट्रांस फैट्स वाली रिफाइंड कार्ब्स) की जगह फास्ट फूड (फल, दूध, दही, सलाद, ड्राइफ्रूट्स, सत्तू, नींबू पानी, गन्ने का रस या शहद) लेना चाहिए. लोगों को कैफेटेरिया या वर्कप्लेस में फल और सब्जियां स्टॉक करना, मिठाई की जगह फल पर अधिक जोर देना चाहिए.

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "किसी को भी जरूरत से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए. स्वाद कलिकाएं केवल जीभ के सिरे और किनारे पर होती हैं. यदि आप जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं, तो मस्तिष्क को संकेत नहीं मिलेंगे. छोटे ग्रास बनाकर खाने और उन्हें ठीक से चबाने से स्वाद कलियों के माध्यम से संकेत दिमाग को मिलते हैं. मस्तिष्क को केवल तभी संकेत मिलता है, जब पेट 100 प्रतिशत भरा होता है. इस प्रकार, कोई कितना खा सकता है, यह पेट की परिपूर्णता पर निर्भर करता है."

डॉ. अग्रवाल के कुछ सुझाव :

* कम खाएं और धीरे-धीरे खाकर अपने भोजन का आनंद लें.

* अपनी आधी थाली फल और सब्जियों से भरें.

* बड़े कौर न खाएं, उनकी वजह से वजन बढ़ सकता है.

* कम से कम आधा अनाज साबुत होना चाहिए.

* ट्रांस फैट और चीनी की अधिकता वाली चीजें न खाएं.

* स्वस्थ वसा चुनें. वसा रहित या कम वसा वाले दूध और डेयरी उत्पादों का उपयोग करें.

* खूब पानी पिएं. शर्करा युक्त पेय से बचें.

* उन खाद्य पदार्थों से बचें, जिनमें सोडियम का स्तर उच्च होता है, जैसे स्नैक्स और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ.

* इस सबसे बढ़कर, अपनी गतिविधि के हिसाब से अपने भोजन के विकल्पों को संतुलित करें.


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