World Day Against Child Labour 2020: बाल श्रम और बच्चों के खिलाफ हिंसा के प्रति जागरूकता का दिन, जानें इसका महत्व और उद्देश्य

दुनिया के तमाम देश भले ही तेज रफ्तार से विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन बाल श्रम आज भी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. बाल मजदूरी और बच्चों के खिलाफ हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है. बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी, सामाजिक असुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का अभाव बताया जाता है.

बाल श्रम/ प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Wikimedia Commons)

World Day Against Child Labour 2020: बाल श्रम (Child Labour) एक ऐसी कड़वी हकीकत है, जिससे भारत (India) नहीं बल्कि पूरी दुनिया ग्रसित है. खलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में न जाने कितने ही बच्चे (Children)आज भी कृषि, भट्टी, कारखाने, चाय की दुकानों से लेकर कई क्षेत्रों में बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं. दुनिया के तमाम देश भले ही तेज रफ्तार से विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन बाल श्रम आज भी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. बाल मजदूरी और बच्चों के खिलाफ हिंसा (Violence Against Children) के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) हर साल 12 जून को मनाया जाता है. बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी, सामाजिक असुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का अभाव बताया जाता है. इसके साथ ही नियोजक भी अधिक लाभ पाने के लिए चोरी-छिपे बाल श्रमिकों को प्राथमिकता देते हैं. चलिए जानते हैं इस दिवस का महत्व और उद्देश्य.

अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस

साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया था, जो बाल श्रम को रोकने के लिए काम करता है. अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है और इस दिन बाल श्रम को खत्म करने के लिए लोगों की जागरूक किया जाता है.

क्या है इस दिवस का महत्व?

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का सभी पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है. उचित शिक्षा तक पहुंच की कमी, गरीबी, बदहाली लाखों बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेल देता है. एक सर्वे के अनुसार, अन्य क्षेत्रों के मुकाबले खेतों में काम करने वाले बाल श्रमिकों की संख्या अब शहरी सेक्टर की ओर तेजी से बढ़ रही है. इसका मतलब यह है कि अब बच्चों को खेतों के बजाय शहरी क्षेत्रों में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बाल श्रम के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में लगभग 10.1 मिलियन बाल मजदूर काम कर रहे हैं. ऐसे में अक्सर बच्चे हिंसा और दुर्व्यवहार के शिकार भी हो जाते हैं. यह भी पढ़ें: World Day Against Child Labour 2019: कड़े कानून के बावजूद भारत में आज भी कई जगह 'बाल श्रम

कैसे मनाया जाता है यह दिन?

इस दिन बाल श्रम के खिलाफ और बच्चों के साथ होने वाली हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. बच्चों के अधिकार, कानून और नियमों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. इसके साथ ही यह दिवस बच्चों की उचित शिक्षा, सामान्य बचपन, घरों में बच्चों की संपूर्ण सुरक्षा जैसे विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है.

दरअसल, बाल श्रम पर नियंत्रण लगाने एवं कामकाजी बच्चों के हित संबंधी तमाम परियोजनाएं केंद्र सरकार द्वारा चल रही हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य है बाल मजदूरों को मजदूरी से हटाकर उनके भविष्य को सुधारना है. इस परियोजना के तहत 2017 से 2018 के बीच लगभग 50 हजार से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति दिलायी जा चुकी है..

बाल मजदूरी है एक अपराध

बच्चों के हित में कई कानून बनाए गए हैं, जिसके अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना या उनसे मजदूरी करवाना गैर कानूनी है. ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है, जिसका मतलब यह है कि इस कानून का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को बिना वारेंट के गिरफ्तारी किया जा सकता है. इसके अलावा कोई भी व्यक्ति अगर 14 साल से कम आयु के बच्चे से काम करवाता है या फिर  14-18 वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय में लिप्त करवाता है तो उसे 6 महीने से 2 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. इसके साथ ही 20 से 50 हजार रूपये का जुर्माना भी हो सकता है.

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