World Sanskrit Day 2023: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व संस्कृत दिवस? जानें संस्कृत भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य!
संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसका समृद्ध इतिहास एवं परंपरा है. अगर कहा जाये कि संस्कृत हर भारतीय भाषाओं की जननी है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा. संस्कृत लगभग सभी वेद एवं पुराणों की भाषा है, हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों एवं मंत्रों का वर्णन इसी भाषा में मिलता है, इसलिए दुनिया भर में संस्कृत भाषा के प्रति विशेष सम्मान भावना है.
संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसका समृद्ध इतिहास एवं परंपरा है. अगर कहा जाये कि संस्कृत हर भारतीय भाषाओं की जननी है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा. संस्कृत लगभग सभी वेद एवं पुराणों की भाषा है, हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों एवं मंत्रों का वर्णन इसी भाषा में मिलता है, इसलिए दुनिया भर में संस्कृत भाषा के प्रति विशेष सम्मान भावना है. अलबत्ता क्लिष्ट भाषा होने के कारण इसका प्रचलन अपेक्षाकृत कम हो रहा है. इसलिए इसके संरक्षण को ध्यान में रखकर 31 अगस्त को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है. आइये जानते हैं संस्कृत भाषा का महत्व, इतिहास एवं उससे जुड़े कुछ रोचक पहलुओं पर... यह भी पढ़ें: Kalki Jayanti 2023 Wishes: कल्कि जयंती की इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
क्यों मनाया जाता है संस्कृत दिवस?
संस्कृत को भारतीय संस्कृति एवं देव भाषा का स्थान प्राप्त है. हमारे अधिकांश धार्मिक ग्रंथ वेद, पुराण, रामायण, उपनिषद, महाभारत, भागवद् गीता, शाकुंतलम, रघुवंश महाकाव्य, एवं समस्त कल्याणकारी मंत्र आदि संस्कृत भाषा में ही उल्लेखित हैं. इसके बावजूद संस्कृत भाषा का अस्तित्व एवं प्रयोग क्रमशः कम हो रहा है. अंग्रेजी और फ्रेंच जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के प्रति बढ़ते रुझान के भी इसे समझने और प्रयोग करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है. इसलिए विश्व संस्कृत दिवस पर भारतीय जनमानस एवं समाज में संस्कृत के महत्व बढ़ाने के लिए दुनिया भर में विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है.
विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास
मान्यता है कि संस्कृत भाषा की उत्पत्ति भारत में करीब 3500 वर्ष पहले हुई थी. साल 1969 में पहली बार संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया था. इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत के पुनरुद्धार के बारे में जागरूकता फैलाना और उसे बढ़ावा देना है. इस दिवस पर भारतीय इतिहास और संस्कृति में संस्कृत के स्थान को स्वीकार किया जाता है.
कैसे मनाते हैं विश्व संस्कृत दिवस
श्रावणी पूर्णिमा अथवा रक्षाबंधन पर ऋषि-मुनियों का स्मरण कर पूरे समर्पण एवं आस्था के साथ संस्कृत दिवस मनाया जाता है. हमारे ऋषि-मुनि संस्कृत साहित्य के मूल स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है. बहुत-सी जगहों पर इसे ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया जाता है. विश्व संस्कृत दिवस को श्रावण पूर्णिमा के दिन को चुनने का मुख्य कारण यह है कि हमारे प्राचीन भारत में इसी दिन से शिक्षण सत्र और वेद पाठ शुरू हुआ था और छात्रों ने भी इसी दिन से शास्त्रों का अध्ययन शुरू किया था. विश्व संस्कृत दिवस मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना है. इस अवसर पर शैक्षणिक संस्थानों में संस्कृत की कार्यशालाएं, संस्कृत में डिबेट, परिचर्चाएं आयोजित की जाती हैं, धार्मिक अनुष्ठान कराये जाते हैं, और धर्म गुरु प्रवचन देते हैं.
संस्कृत से संबंधित रोचक तथ्य
* देवभूमि उत्तराखंड की राजकीय भाषा है संस्कृत.
* कर्नाटक के एक गांव मत्तूर दुनिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां सभी लोग संस्कृत में बात करते हैं.
* भारत के कुछ भागों में साल 1970 से संस्कृत भाषा में एक अखबार प्रकाशित होता है, जिसका नाम सुधर्मा है.
* संस्कृत भाषा ने अमेरिका में भी अपना लोहा मनवाया है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के एक वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने कहा था कि संस्कृत एकमात्र स्पष्ट भाषा है, जो कि अस्तित्व में है.
* फोर्ब्स पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, संस्कृत अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक कंप्यूटर फ्रेंडली भाषा है.
* हम जहां भारतीय छात्र विदेश से अन्य भाषाओं में डिग्री हासिल करने के लिए जाते हैं, वहीं जर्मनी में 14 यूनिवर्सिटी संस्कृत भाषा की पढ़ाई जा रही हैं.