Navratri and Durga Puja: नवरात्रि और दुर्गा पूजा में क्या अंतर है? प्रतिमाओं की स्थापना, अनुष्ठान से लेकर भोग और शुभ मुहूर्त तक इन दोनों उत्सवों के बारे में विस्तार से जानें
नवरात्रि और दुर्गा पूजा (Photo Credits: Wiki & File Image)

Navratri and Durga Puja: शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) का पावन पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और इस नौ दिवसीय उत्सव का समापन 25 अक्टूबर को होगा. आमतौर पर नवरात्रि और दुर्गा पूजा (Navratri And Durga Puja) को अक्सर एक ही उत्सव के रूप में संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इन दोनों उत्सव में अंतर है. हालांकि नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जबकि दुर्गा पूजा (Durga Puja) का अनुष्ठान थोड़ा अलग होता है, लेकिन मकसद एक ही होता है और वो है मां दुर्गा (Maa Durga) की भक्ति और उपासना कर उन्हें प्रसन्न करना. इस उत्सव को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा के लिए आयोजन, पूजा विधि, प्रतिमाएं, उत्सव की अवधि और अनुष्ठान एक-दूसरे से थोड़े भिन्न होते हैं, लेकिन उत्सव को मनाने के लिए दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति, विश्वास, सकारात्मकता और खुशी एक समान ही रहती है. चलिए जानते हैं नवरात्रि और दुर्गा पूजा में क्या अंतर है?

नवरात्रि और दुर्गा पूजा में अंतर

नवरात्रि का पर्व प्रमुख रूप से उत्तर भारतीयों द्वारा मनाया जाता है, जबकि दुर्गा पूजा पूर्व-भारतीय संस्कृति से संबंधित है, जिसमें पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोग शामिल हैं. नवरात्रि नौ रातों का पावन पर्व है और उसके बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. दुर्गा पूजा का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है और मुख्य उत्सव की शुरुआत छठे दिन यानी षष्ठी से होती है, जब देवी बोधन होते हैं. छठे दिन बंगाली महिलाएं लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी (लाल पाड़ शादा साड़ी) पहनकर सुबह 5 बजे से पूजा पंडालों में प्रभात फेरी निकालती हैं, जबकि नवरात्रि के छठे दिन पूजा नवरात्रि के अन्य दिनों के समान ही होती है. यह भी पढ़ें: Navratri 2020: शरद नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना क्यों है महत्वपूर्ण? जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और आवश्यक पूजन सामग्रियों की पूरी लिस्ट

देवी दुर्गा-

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और इस पर्व का समापन दशहरा के साथ होता है. जब बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है. दुर्गा पूजा मुख्य रूप से राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है.

प्रतिमाएं होती हैं एक-दूसरे से अलग

नवरात्रि और दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमाएं भी एक-दूसरे से थोड़ी अलग होती हैं. बंगाल में दुर्गा की मूर्तियां घुंघराले काले लंबे बाल, बड़ी मछली के आकार की आंखे और बंगाली शैली की संस्कृति को दर्शाती हैं, जबकि उत्तर भारत में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमाओं को शेर पर सवारी करते हुए दिखाया जाता है. यह भी पढ़ें: Navratri 2020 Colours Calendar For 9 Days: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जानें किस दिन पहनें किस रंग के कपड़े

नवरात्रि और दुर्गा पूजा (Photo Credits: Wiki & File Image)

नवरात्रि और दुर्गा पूजा अनुष्ठान

नवरात्रि के दौरान भक्त 9 दिनों के लिए अलग-अलग तरीकों से उपवास करते हैं. इस दौरान उत्तर भारतीय लोग अंडे, मांस, प्याज और लहसुन जैसी तामसिक चीजों से परहेज करते हैं. हालाकि दुर्गा पूजा में भोजन इस उत्सव के मुख्य आकर्षणों में से एक है. दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली समुदाय के लोग स्वादिष्ट बंगाली व्यंजनों और विभिन्न प्रकार के मांसाहारी व्यंजनों का आनंद लेते हैं. दुर्गा पूजा का पहला दिन महालया पर अंकित किया जाता है, जब मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध होता है. इसका समापन मां दुर्गा की जीत के साथ होता है. वहीं दूसरी तरफ नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. यह भी पढ़ें: Durga Puja 2020 Virtual Celebration Ideas: ऑनलाइन मुख दर्शन से लेकर पूजा भोग का आनंद लेने तक, जानें घर पर शारदीय नवरात्रि मनाने के 5 खास तरीके

दुर्गा पूजा का समापन सिंदूर खेला के साथ होता है, जहां विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर खेलती हैं. मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन से पहले विजयादशमी के दिन इस उत्सव को मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को हैप्पी बिजोया कहकर शुभकामनाएं देते हैं. वहीं दूसरी तरफ नवरात्रि दशहरा के साथ समाप्त हो जाती है. गौरतलब है कि दुर्गा पूजा महज एक त्योहार नहीं है बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है. नारी शक्ति के प्रतीक के तौर पर देवी दुर्गा की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.