Vishwakarma Puja 2020: विश्वकर्मा पूजा कब है? जानें पूजा विधि और इस उत्सव का धार्मिक महत्व

भगवान विश्वकर्मा ने ही हमारे देवी-देवताओं के लिए दिव्य अस्त्र-शस्त्र, भवन, और मंदिरों आदि का निर्माण किया था. कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा जब सृष्टि की रचना कर रहे थे, तो विश्वकर्मा जी ने उनकी सहायता की थी. भगवान विश्वकर्मा का जन्म कन्या संक्रांति के दिन हुआ था, जो हर वर्ष 16 सितंबर को पड़ता है.

विश्वकर्मा पूजा 2020 (Photo Credits: Wikipedia)

Vishwakarma Puja 2020: हिंदू धर्मग्रंथों के हर देवी-देवता का अपना महत्व और अपनी दैवीय शक्ति होती है. इन्हीं में एक हैं भगवान विश्वकर्मा (Bhagwan Vishwakarma). मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही हमारे देवी-देवताओं के लिए दिव्य अस्त्र-शस्त्र, भवन, और मंदिरों आदि का निर्माण किया था. कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा जब सृष्टि की रचना कर रहे थे, तो विश्वकर्मा जी ने उनकी सहायता की थी. भगवान विश्वकर्मा का जन्म कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन हुआ था, जो हर वर्ष 16 सितंबर को पड़ता है. इस दिन कल-पुर्जों से जुड़े तकनीशियन्स एवं इंजीनियर्स आदि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?

विष्णु पुराण के अनुसार धर्म की वस्तु नामक स्त्री के गर्भ से वास्तुदेव पैदा हुए थे. वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी की कोख से भगवान विश्वकर्मा का उद्भव हुआ था. भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में शिल्पशास्त्र का प्रवर्तक माना जाता है. कहा जाता है कि पिता वास्तुदेव से वास्तुकला विश्वकर्मा को विरासत में मिली थी, इसीलिए आगे चलकर विश्वकर्मा भी वास्तुकला के महान आचार्य के रूप में लोकप्रिय हुए.

ऐसे करें पूजा-अर्चना

कन्या संक्रांति यानी 16 सितंबर के दिन प्रातःकाल स्नान-दान करने के पश्चात स्वच्छ अथवा नये कपड़े पहनकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें. भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ पूरे विधि-विधान से किया जाता है. यह पूजा और यज्ञ विवाहित दम्पति ही करते हैं. जिस स्थान पर पूजा एवं यज्ञाहुति होनी है, उसके ठीक सामने जातक को पत्नी के साथ बैठना चाहिए. अब श्रीहरि का ध्यान करें और विष्णु जी एवं विश्वकर्मा जी की प्रतिमा पर रोली का तिलक लगाने के बाद अक्षत एवं पुष्प अर्पित करें. अब निम्न मंत्र का जाप करते हुए भगवान को जल अर्पित करें.

ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:; ओम् अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:

इसके बाद पूजा स्थल के चारों ओर जल का छिड़काव करने के बाद चारों दिशाओं में पीली सरसों छिड़कें. स्वयं को एवं पत्नी को रक्षासूत्र बांधें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें. यज्ञाहुति करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती उतारें. इसके पश्चात अगर घर में कोई मशीनरी की वस्तु हो तो उस पर रोली एवं अक्षत का टीका करें, पुष्प चढ़ाकर रक्षासूत्र बांधें. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सभी को प्रसाद वितरित करें. यह भी पढ़ें: Vishwakarma Jayanti 2020: दुनिया के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर, आर्किटेक्चर एवं चित्रकार थे भगवान विश्वकर्मा, जानें उनकी जयंती के दिन कैसे करें पूजा

क्यों कहते हैं, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माण्ड का पहला इंजीनियर

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण किया था. पुष्पक विमान भी उन्हीं की कृति थी. सभी देवों के भवन और उनके घातक तथा दैवीय शक्ति वाले अस्त्र-शस्त्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. इसके अलावा कर्ण का कवच-कुण्डल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिवजी का त्रिशूल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है, इसीलिए उन्हें ब्रह्माण्ड का पहला इंजीनियर कहा जाता है.

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