Vat Purnima Vrat 2020: वट पूर्णिमा व्रत का पर्व कल, पति की लंबी उम्र के लिए सुहागन महिलाएं इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
कोरोना वायरस संकट के बीच देश में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जा रहे हैं. इन त्योहारों में शुक्रवार यानी 5 जून 2020 को सुहागिनों का खास त्योहार वट पूर्णिमा मनाया जाएगा. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, वट पूर्णिमा या वट सावित्री की पूजा पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए मनाया जाता है.
Vat Purnima Vrat 2020: कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट के बीच देश में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जा रहे हैं. इन त्योहारों में शुक्रवार यानी 5 जून 2020 को सुहागिनों का खास त्योहार वट पूर्णिमा मनाया जाएगा. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, वट पूर्णिमा (Vat Purnima) या वट सावित्री की पूजा (Vat Savitri Puja) पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए मनाया जाता है. इसके लिए महिलाएं सुबह जल्दी उठती हैं, स्नान करती हैं और दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं. वे अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगातीं हैं. पूजा के लिए महिलाएं बरगद के पेड़ को चूड़ियां और आभूषण पहनाती हैं, साथ ही सिंदूर, चंदन, अक्षत और फूल चढ़ाती हैं. हिंदू रीति-रिवाजों में हाथों पर मेहंदी लगाना दुल्हन के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है. यह एक प्राचीन प्रथा है और महिलाएं वार्षिक और धार्मिक अवसरों पर इसका अनुष्ठान करती हैं.
यह त्योहार हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत की कथा सुनने पर पुण्यफल प्राप्त होता है. वट पूर्णिमा को वट सावित्री भी कहा जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार, सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापस लाई थी. इसे विशेष रूप से मिथिला और पश्चिमी भारतीय राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है.
वट पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त
वट सावित्री पूर्णिमा शुक्रवार, जून 5, 2020 को
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ– जून 5, 2020 को 3 बजकर 17 मिनट से,
पूर्णिमा तिथि समाप्ति– जून 6, 2020 को 12 बजकर 41 मिनट तक
आए आपको बताते हैं वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले आराध्य देव का स्मरण किया जाता है. इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल (Gangaajal) और पानी से स्नान किया जाता है. इन सबके बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर, सोलह श्रृंगार किया जाता है. वट पूर्णिमा के दिन खासकर पीला वस्त्र धारण किया जाता है.
इन सबके बाद सूर्य देव और वट वृक्ष को जल का अर्घ्य दिया जाता है. वट वृक्ष की पूजा फल, फुल, प्रसाद, धूप-दीप, अक्षत, चंदन और दूर्वा से किया जाता है. अब रोली यानी की रक्षा सूत्र की सहायता से वट वृक्ष की 7 या 11 बार परिक्रमा करें. इसके बाद, ब्राम्हण या पंडित से वट सावित्री की कथा सुने. अंत में वट वृक्ष और यमराज से घर में सुख, शांति और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें.