Tulsidas Jayanti 2020: महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने की थी रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना, जानें उनसे जुड़ी खास बातें
तुलसीदास जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

Tulsidas Jayanti 2020: महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती (Tulsidas Jayanti) इस साल 27 जुलाई 2020 को मनाई जा रही है. उनका जन्म सावन मास (Sawan Maas) के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन हुआ था. तुलसीदास (Tulsidas) के पिता का नाम आतमा रामदुबे था और माता का नाम हुलसी था. तुलसीदास के जन्म से जुड़ी कथा के अनुसार, अपने जन्म के समय तुलसीदास रोए नहीं थे और उनके मुंह से पहला शब्द राम निकला था. इतना ही नहीं जन्म से ही उनके मुख में 32 दांत थे. जन्म के बाद ऐसा बालक को देखकर उनके माता-पिता काफी हैरान हो गए. उनके जन्म के कुछ समय बाद उनकी माता का निधन हो गया था. तुलसीदास के पिता ने अपने बेटे को अमंगल मानकर उनका त्याग कर दिया.

पिता द्वारा त्याग दिए जाने के बाद उनका बचपन बहुत ही कष्टमय रहा. पांच साल की आयु तक दासी ने उनका पालन पोषण किया. दासी के निधन के बाद तुलसीदास को खाने के लिए भी बहुत कष्ट उठाने पड़े, क्योंकि लोग उन्हें अशुभ मानकर अपने दरवाजे बंद कर लेते थे. हालांकि विषम परिस्थितियों में उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा.

संतश्री नरहरिदास ने किया मार्गदर्शन

तुलसीदास के जीवन में बदलाव उस वक्त आया जब उन्हें संतश्री नरहरिदास जी का सानिध्य मिला और उन्होंने तुलसीदास का न सिर्फ पालन-पोषण किया, बल्कि उनका नाम रामबोला रखा. उन्होंने उनकी शिक्षा-दीक्षा अयोध्या में कराई. कहा जाता है कि तुलसीदास बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे और हर पाठ को आसानी से याद कर लेते थे. नरहरिदास जी ने तुलसीदास का जीवन में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन किया. तुलसीदास ने रामकथा को आदर्श जीवन का मार्गदर्शन करने वाला माध्यम बना लिया. उन्होंने रामकथा में राम भक्ति के बारे में लिखा और सुखद समाज की कल्पना कर लोगों को आदर्श जीवन जीवने का रास्ता भी दिखाया. यह भी पढ़ें: तुलसीदास जयंती: यह पांच बातें बदल देगी आपकी जिंदगी

पत्नी की एक बात ने बदला तुलसीदास का जीवन

तुलसीदास अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत प्यार करते थे. कहा जाता है कि एक बार जब उनकी पत्नी अपने मायक गई तो रात में मूसलाधार बारिश में तुलसीदास अपनी पत्नी से मिलने जा पहुंचे. अपने पति के इस कृत्य से तुलसीदास की पत्नी बहुत शर्मिंदा हुईं. उनकी पत्नी ने ताना मारते हुए कहा कि जितना प्रेम हाड़ मांस के इस शरीर से है, अगर उतना प्रेम प्रभु श्रीराम से किया होता तो भवसागर पार हो गए होते. पत्नी द्वारा कही गई यह बाद उनके दिल में घर कर गई और वे श्रीराम की भक्ति में लीन हो गए, जिससे उनका पूरा जीवन ही बदल गया.

रामचरित मानस और हनुमान चालीसा की रचना

बताया जाता है कि संवत 1628 में भगवान शिव तुलसीदास के सपने में आए और उन्हें अपनी भाषा में काव्य की रचना करने का आदेश दिया. भगवान श्रीराम की आज्ञा मानकर वे अयोध्या गए और संवत 1631 में उन्होंने रामचरितमानस की रचना शुरू की. दो साल सात महीने और 26 दिन में उनकी यह रचना पूरी हुई. रामचरितमानस के अलावा उन्होंने हनुमान चालीसा की भी रचना की थी. इसके अलावा कवितावली, दोहावली, हनुमान बाहुक, पार्वती मंगल, रामलला नहछू जैसी कई रचनाएं की.