Shattila Ekadashi 2019: बेहद महत्वपूर्ण है षटतिला एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और तिल के दान का महत्व

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस बार यह एकादशी 31 जनवरी को पड़ रही है. इस एकादशी को बेहद खास माना जाता है. पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति षटतिला एकादशी के दिन व्रत, दान और विधि-विधान से श्रीहरि का पूजन करता है उसके सभी पापों का अंत होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

भगवान विष्णु (Photo Credits : Youtube)

shattila Ekadashi 2019: हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण बताया जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित एकादशी का व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. दरअसल, हर महीने में दो बार एकादशी होती है और माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) कहा जाता है. इस बार यह एकादशी 31 जनवरी को पड़ रही है. इस एकादशी को बेहद खास माना जाता है. पद्म पुराण (Padma Puran) के अनुसार, जो व्यक्ति षटतिला एकादशी के दिन व्रत, दान और विधि-विधान से श्रीहरि का पूजन करता है उसके सभी पापों का अंत होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मान्यता है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजार वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है उससे अधिक फल षटतिला एकादशी का व्रत करने से ही प्राप्त हो जाता है. इससे घर में सुखःशांति का वास होता है. चलिए जानते हैं षटतिला एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन तिल का दान करने का क्या महत्व होता है.

शुभ मुहूर्त

षटतिला एकादशी- 31 जनवरी 2019

तिथि प्रारंभ- 15 बजकर 33 मिनट से (30 जनवरी 2019)

तिथि समाप्त- 17 बजकर 02 मिनट तक (31 जनवरी 2019)

पूजा विधि

नारदपुराण के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प लें.

गंगाजल में तिल मिलाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं, धूप दीप प्रज्वलित करें. इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम और इस व्रत कथा का पाठ करें, फिर आरती उतारें.

इस दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाएं साथ ही तिलयुक्त फलाहार करें. इस दिन तिल के दान का भी विशेष महत्व है इसलिए तिल का दान करें. यह भी पढ़ें: Safla Ekadashi 2019: सफला एकादशी का व्रत करने से मिलती है हर क्षेत्र में सफलता, जानें कैसे करें श्रीहरि की पूजा

तिल से करें ये 6 काम

षटतिला एकदाशी पर तिल का विशेष महत्व होता है, इसलिए अपनी दिनचर्या में इस दिन तिल का इस्तेमाल करने के साथ-साथ इसका दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है.

व्रत कथा 

पद्म पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में धरती पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी, जो भगवान विष्णु की बड़ी भक्त थी और उनकी पूजा व व्रत आदि श्रद्धाभाव से करती थी. व्रत रखने के कारण उसका मन और शरीर तो शुद्ध हो गया, लेकिन उसने कभी अन्न का दान नहीं किया था. जब महिला की मृत्यु हुई और वो वैकुंठ पहुंती, जहां उसे एक खाली कुटिया और आम का पेड़ मिला. यह भी पढ़ें: Mokshada Ekadashi 2018: इस दिन व्रत रखने से मिलता है मोक्ष, जानें पूजा विधि और मंत्र

महिला ने भगवान विष्णु से पूछा कि मुझे खाली कुटिया ही मिली है, तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुमने कभी कुछ दान नहीं किया, इसलिए तुम्हे ये फल मिला है. श्रीहरि ने कहा कि तुम्हारे उद्धार के लिए एक बार तुम्हारे पास स्वयं भिक्षा मांगने आया था, लेकिन तुमने मुझे मिट्टी का ढेला पकड़ा दिया. उन्होंने कहा कि अब तुम षटतिला एकादशी का व्रत करो. इस व्रत के प्रभाव से महिला की कुटिया धन-धान्य से भर गई.

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