Sharad Navratri Pooja 2023, Day-1: आज शैलपुत्री और देवी सरस्वती की होगी पूजा! जानें शुभ मुहूर्त, आह्वान मंत्र एवं पूजा-विधि!

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितरों की विदाई के साथ ही आदिशक्ति नवदुर्गा अपनी शक्तियों के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. कलश स्थापना के साथ ही आज नव दुर्गा के पहले स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी.

Sharad Navratri Pooja 2023, Day-1

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितरों की विदाई के साथ ही आदिशक्ति नवदुर्गा अपनी शक्तियों के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. कलश स्थापना के साथ ही आज नव दुर्गा के पहले स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी. इसके साथ ही आज के ही दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का भी आह्वान का विधान है. आइये जानते हैं माँ शैलपुत्री के महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि के साथ ही जानेंगे कि आज के दिन देवी सरस्वती का आह्वान क्यों किया जाता है. यह भी पढें: Shardiya Navratri Vrat 2023: नवरात्रि पर 9 दिन के उपवास में करें इन पांच पदार्थों का सेवन! बने रहेंगे ऊर्जावान!

कौन हैं मां शैलपुत्री?

नवदुर्गा में एक हैं माँ शैलपुत्री. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी सती द्वारा आत्मदाह के बाद, उन्होंने देवी पार्वती के रूप में हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया. माँ शैलपुत्री हेमावती के नाम से जानी गईं. बैल की सवारी करने वाली माँ शैलपुत्री के दो हाथ हैं. एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल का फूल धारण करती हैं, तथा श्वेत वस्त्र धारण करती हैं.

शैलपुत्री पूजा का महात्म्य!

देवी शैलपुत्री भाग्य और समृद्धि के प्रदाता चंद्रमा को नियंत्रित करती हैं. मान्यता है कि आदिशक्ति के इस रूप की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित सारे दोष दूर होते हैं, यहां तक कि किसी की कुंडली में चंद्रमा पर दोष है तो इस पूजा से उस दोष को दूर किया जा सकता है.

शैल पुत्री की पूजा विधि

शरद नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के पश्चात षोडोपचार विधि से देवी शैलुपत्री की पूजा करें. देवी शैलपुत्री की प्रतिमा के समक्ष कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत (खड़ा चावल), सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें. देवी को सफेद रंग का पुष्प, सफेद मिठाई (रसगुल्ला) का भोग लगाएं. मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें.

शैली पुत्री का बीज मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:'

कलश स्थापना, शैल पुत्री एवं देवी सरस्वती आवाहन का शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना शुभ मुहूर्तः 05.41 AM से 11.56 AM

कलश स्थापना के तुरंत बाद माँ शैल पुत्री की पूजा की जाती है

(सरस्वती पूजा के लिए)

मूल नक्षत्र प्रारंभः 09. 04 PM (19 अक्टूबर 2023)

मूल नक्षत्र समाप्तः 08. 41 PM (20 अक्टूबर 2023)

सरस्वती आह्वान शुभ मुहूर्तः 06.25 AM से 08.52 AM तक

सरस्वती पूजाः आह्वान से विसर्जन तक

सनातन धर्म में माँ सरस्वती को ज्ञान, संगीत, एवं साहित्य की देवी माना जाता है. इन्हें वेदों की जननी भी कहा जाता है. मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि के दौरान चार दिन के लिए विशेष रूप से सरस्वती पूजा की जाती है. यह पूजा नक्षत्रों के अनुसार की जाती है, उदाहरण के लिए सरस्वती आह्वान (मूल नक्षत्र में) से शुरू होकर, सरस्वती पूजा (पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र में), सरस्वती बलिदान (उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र में), एवं सरस्वती विसर्जन (श्रवण नक्षत्र में) तक चलती है. आश्विन प्रतिपदा को प्रातः उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़के. अब एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर माँ सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित करें, अब देवी सरस्वती को सफेद पुष्प, सफेद मिठाई का भोग लगाएं, सरस्वती वंदना करें और अंत में सरस्वती जी की आरती उतारें.

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